facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

ट्रंप के आदेश का दवा निर्यात पर असर नहीं

ट्रंप का कार्यकारी आदेश: अमेरिका में दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना

Last Updated- May 06, 2025 | 11:33 PM IST
The India Story: The journey of becoming ‘the pharmacy of the world’ ‘दुनिया का दवाखाना’ बनने का सफर

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने देश में दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने और दवा संयंत्रों को मंजूरी में लगने वाले समय को कम करने के उद्देश्य से एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत अमेरिका में दवा का प्रमुख निर्यातक देश है। हालांकि उद्योग के सूत्रों और विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस कदम से भारतीय फार्मा निर्यातकों पर सीधा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।

फार्मा कंपनियों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका में विनिर्माण का विस्तार करने का निर्णय रणनीतिक फैसला है और यह कुछ खास उत्पादों पर निर्भर करेगा। एक प्रमुख फार्मा कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी ने कहा कि ज्यादा मार्जिन वाले या उन उत्पादों के लिए जहां किसी भारतीय कंपनी ने सह-विकास और मार्केटिंग के लिए अमेरिकी भागीदार बनाया है, वह अमेरिका में विनिर्माण इकाई शुरू करने पर विचार कर सकती है।

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में विनिर्माण इकाई खोलने का निर्णय कंपनियों और उत्पादों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। कुल मिलाकर यह व्यवहार्यता पर निर्भर करेगा।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल उनकी कंपनी की ऐसी कोई योजना नहीं है। फार्मा उद्योग के एक अन्य दिग्गज ने कहा कि अमेरिका का घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, ‘हर देश रोजगार पैदा करना और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना चाहेगा। मुझे नहीं लगता कि इससे भारतीय निर्यातकों पर कोई असर पड़ेगा। हम व्यवहार्यता के आधार पर ही अमेरिका में उत्पादन स्थानांतरित करने का निर्णय लेंगे।’

ट्रंप ने अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (यूएसएफडीए) को सुविधाएं ऑनलाइन होने से पहले शुरुआती सहायता प्रदान करने के लिए घरेलू विनिर्माताओं के साथ मिलकर काम करने का भी निर्देश दिया है। विदेशी उत्पादकों के लिए स्वास्थ्य नियामक को एपीआई स्रोत रिपोर्टिंग में सुधार करने के लिए कहा गया है। आदेश में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी को भी संयंत्रों के निर्माण में तेजी के लिए काम करने का निर्देश दिया गया है। इसमें कहा गया है कि उद्योग के अनुमान बताते हैं कि फार्मा और महत्त्वपूर्ण इनपुट के लिए नई विनिर्माण इकाई लगाने में 5 से 10 साल तक का समय लग सकता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अस्वीकार्य है।

रॉयटर्स ने बताया कि एफडीए आयुक्त मार्टी मकेरी ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के दौरान कहा कि नियामक का इरादा विदेशी संयंत्रों का औचक निरीक्षण शुरू करने का है। नियामक चाहता है कि औषधि विनिर्माण की निगरानी अमेरिका के नियमों के अनुरूप हो। ट्रंप के इस आदेश से भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर अरबिंदो फार्मा का शेयर 2.5 फीसदी टूट गया और निफ्टी फार्मा सूचकांक में 1.1 फीसदी की गिरावट आई।

हालांकि भारतीय फार्मास्युटिकल निर्यात संवर्द्धन परिषद (फार्मेक्सिल) के पूर्व महानिदेशक उदय भास्कर ने कहा कि देसी फार्मा निर्यातकों पर कोई प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है। उदय भास्कर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ट्रंप अपनी घरेलू फार्मा कंपनियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि स्थानीय उत्पादन बढ़ाया जा सके। कई अमेरिकी कंपनियों की विनिर्माण इकाइयां आयरलैंड, जर्मनी आदि में हैं। अमेरिका अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी एपीआई आयात करता है और इस मामले में वह आत्मनिर्भर बनना चाहेगा। अमेरिका हर साल 200 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का आयात करता है। अमेरिका को भारत केवल 10 अरब डॉलर मूल्य की दवाएं निर्यात करता है, जिनमें ज्यादातर जेनरिक दवाएं हैं। इसलिए मुझे ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं दिखती।’

रॉश, नोवार्तिस, एली लिली और जॉनसन ऐंड जॉनसन सहित कई कंपनियों ने हाल के हफ्तों में अमेरिका में विनिर्माण में भारी निवेश की घोषणा की है। भारतीय कंपनियों के अमेरिका में विनिर्माण स्थानांतरित करने के संबंध में लागत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जायडस लाइफसाइंसेज के प्रबंध निदेशक शर्विल पटेल ने इस महीने की शुरुआत में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि विनिर्माण का विस्तार होगा मगर इसका एक बड़ा हिस्सा भारत में रहेगा क्योंकि पहला सिद्धांत किफायती दवाएं बनाना है। भारत विनिर्माण लागत के लिहाज से बहुत प्रतिस्पर्धी है। पटेल ने कहा कि भारत विनिर्माण का केंद्र बना रहेगा।

आशिका ग्रुप में फार्मा विश्लेषक, संस्थागत शोध निराली शाह ने कहा कि भारत की बड़ी दवा कंपनियों की पहले से ही वैश्विक उपस्थिति है और ‘अमेरिकी कंपनी से खरीदें’ जैसे किसी भी नए निर्देश से कंपनियां अमेरिकी रणनीति का नए सिरे से मूल्यांकन कर सकती हैं। सिस्टमैटिक्स में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) विशाल मनचंदा का कहना है कि प्रस्तावित नियामक मार्ग को आसान बनाने के अलावा जब तक विनिर्माण को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, तब तक कंपनियां अपना विनिर्माण स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित नहीं होंगी। ग्लेनमार्क को उम्मीद है कि उत्तरी कैरोलिना के मोनरो में उसकी इंजेक्टेबल इकाई वित्त वर्ष 2026 में पटरी पर आ जाएगी। कंपनी साइट का और विस्तार करने के लिए तैयार है।

First Published - May 6, 2025 | 11:33 PM IST

संबंधित पोस्ट