facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

2023 में इस्पात मांग में मामूली वृद्धि की उम्मीद: जेएसडब्ल्यू स्टील

Last Updated- January 23, 2023 | 1:55 AM IST
JSW Steel

जेएसडब्ल्यू स्टील ने इनपुट की अधिक लागत और कम बिक्री मूल्य की वजह से वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान समेकित शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 88.75 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।

एक साक्षात्कार में जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषगिरि राव ने ईशिता आयान दत्त को बताया कि घरेलू मांग मजबूत है और चौथी तिमाही में चीन की ओर से धारणा में सुधार होने वाला है, लेकिन कई अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति विश्व इस्पात की मांग में किसी भी बड़े इजाफे को रोक सकती है। संपादित अंश:

घरेलू मांग मजबूत है, लेकिन आप वर्ष 2023 में प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में हल्की मंदी की संभावना जता रहे हैं। इस परिदृश्य के मद्देनजर वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के लिए क्या नजरिया है?

जहां तक भारत की बात है, तो हमें तीसरी तिमाही में निश्चित रूप से मांग में जोरदार तेजी नजर आ रही है। वाहन क्षेत्र चौथी तिमाही में काफी बेहतर प्रदर्शन करेगा क्योंकि आम तौर पर दिसंबर में उत्पादन कम रहता है और हम विशेष रूप से राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च की उम्मीद कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर दिसंबर तक कीमतों में गिरावट थी और आम तौर पर ऐसे परिदृश्य में लोगों का झुकाव स्टॉक का नुकसान कम करने के लिए स्टॉक निपटाने का रहता है। लेकिन चीन की तरफ से धारणा में सुधार शुरू होने वाला है, जिसने इस्पात और इसके कच्चे माल के दामों में इजाफा किया है। इसलिए वैश्विक स्तर पर स्टॉक की दोबारा शुरुआत होगी।

प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में प्रतिकूल हालात का इस क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

कई अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति अड़ियल प्रतीत हो रही है। भले ही इसमें गिरावट का रुख हो, लेकिन यह अमेरिका और यूरोप में हल्की मात्रा में बढ़नी जारी है। जापान में मुद्रास्फीति वर्ष 1981 के बाद से अपने सर्वाधिक स्तर पर है। ये सब इस बात का संकेत दे रहे हैं कि आगे चलकर वित्तीय स्थिति और मुश्किल हो जाएगी। यह वर्ष 2023 में बड़ी वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था मजबूत तरीके से नहीं बढ़ रही है, इसलिए मुझे इस्पात की मांग में वर्ष 2021 जैसे बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। हम वर्ष 2023 में इस्पात की कीमत सीमित दायरे में रहने और मांग में मामूली वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

लेकिन जनवरी में इस्पात की चादरों के दाम दो बार बढ़ चुके हैं। क्या दाम निचले स्तर पर चुके हैं?

यह निश्चित रूप से निचले स्तर पर आ चुके हैं। वैश्विक स्तर पर और भारत में भी दाम बढ़ने लगे हैं। लेकिन वैश्विक दामों में तेजी से इजाफा हुआ है और भारत में दाम अब भी कम हैं। आयात लागत और घरेलू दामों के बीच का अंतर कम से कम छह प्रतिशत है।

क्या निर्यात शुल्क वापस लिए जाने से स्टॉक के स्तर में कमी आ रही है?

पिछली तिमाही में लगभग 1,80,000 टन स्टॉक जमा हो गया था। घरेलू बाजार में अधिक मात्रा में बिक्री के बावजूद निर्यात में गिरावट के कारण हमारा स्टॉक काफी बढ़ गया। इस तिमाही में निर्यात बाजारों में अधिक वॉल्यूम बढ़ाने का अवसर है। यह वास्तव में निर्यात बाजार में हमारी प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाता है।

एनएमडीसी के लिए रुचि पत्र प्रस्तुत करने की समय सीमा निकट आ रही है। क्या आप भाग लेंगे?

हम भाग लेंगे।

और क्या आप आरआईएनएल के लिए भी बोली लगाएंगे?

दोनों काफी बड़े आकार की परियोजनाएं हैं और हम दोनों का मूल्यांकन करेंगे। आरआईएनएल बंदरगाह आधारित संयंत्र है और इसमें विस्तार का अवसर है। उनके पास जमीन का एक बड़ा हिस्सा है।

आम बजट में आप क्या चाहते हैं?

यह विकासोन्मुख होना चाहिए। उद्योग बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च किए जाने की उम्मीद कर रहा है। विशेष रूप से इस्पात के मामले में उन वस्तुओं पर शुल्क में कमी की जानी चाहिए, जो भारत में उपलब्ध नहीं होती हैं और उद्योग को विदेशी बाजारों से आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है – जैसे कोकिंग कोल, जिंक, इलेक्ट्रोड आदि।

साथ ही पिछली बार इस्पात पर शुल्क 12.5 से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया था। लेकिन जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो भारत डंपिंग ग्राउंड बन जाता है।

First Published - January 23, 2023 | 1:55 AM IST

संबंधित पोस्ट