IDBI बैंक के प्रवर्तक एलआईसी ने कहा है कि वह बैंक-बीमा कारोबार का अधिकतम फायदा उठाने के लिए इस बैंक में अपनी कुछ हिस्सेदारी बनाए रखना चाहती है।
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा कंपनी (LIC Chairman) के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि आईडीबीआई बैंक से पूरी तरह बाहर होने का इरादा नहीं है।
मोहंती ने कहा, “हमने यह साफ कर दिया है कि आईडीबीआई बैंक बैंक-बीमा में हमारा अग्रणी साझेदार है। हम आईडीबीआई बैंक में अपनी कुछ हिस्सेदारी बनाए रखेंगे ताकि बैंक-बीमा भागीदारी बनी रहे।”
बैंक-बीमा व्यवस्था किसी बैंक और बीमा कंपनी के बीच का वह प्रावधान है जिसमें बीमा उत्पादों को बैंक शाखाओं के जरिये बेचा जाता है।
सरकार एलआईसी के साथ मिलकर आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी का रणनीतिक विनिवेश करने की तैयारी में है। इस बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है जबकि एलआईसी के पास 49.24 प्रतिशत हिस्सा है। ये दोनों मिलकर 60.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने वाले हैं। आईडीबीआई बैंक जनवरी, 2019 में एलआईसी की अनुषंगी बनी थी।
हालांकि बैंक में एलआईसी की हिस्सेदारी घटाकर 49.24 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद इसे 19 दिसंबर, 2020 को जीवन बीमा कंपनी की सहायक कंपनी बना दिया गया था।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने पिछले दिनों कहा था कि आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री को मार्च, 2024 तक पूरा हो पाने की संभावना कम है।
एलआईसी चेयरमैन ने पिछले साल एलआईसी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद से इसके शेयरों की कीमत में आई गिरावट पर कहा, “हम अपने शेयरधारकों के हितों को लेकर फिक्रमंद हैं और कई कदम उठाकर मार्जिन पैदा करने की दिशा में लगे हुए हैं।”