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चूक करने वाले प्रवर्तकों को छूट नहीं, पिछले दरवाजे से कम कीमत पर नहीं खरीद सकेंगे कंपनी

राज्य सभा में गुरुवार को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कुछ सदस्यों द्वारा दिवालिया मामलों में कम कीमत को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए यह कहा।

Last Updated- August 08, 2024 | 10:48 PM IST
चूक करने वाले प्रवर्तकों को छूट नहीं, पिछले दरवाजे से कम कीमत पर नहीं खरीद सकेंगे कंपनी No exemption for defaulting promoters, they will not be able to buy the company at a lower price through the back door

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चूक करने वाले प्रवर्तकों को अपनी कंपनी के लिए फिर से बोली लगाने की अनुमति नहीं है। उन्हें पिछले दरवाजे से आकर कम कीमत पर कंपनी खरीदने से रोका गया है। राज्य सभा में गुरुवार को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कुछ सदस्यों द्वारा दिवालिया मामलों में कम कीमत को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए यह कहा।

23 जुलाई को पेश किए गए बजट में संकटग्रस्त कंपनियों के ऋण समाधान में शामिल सभी हितधारकों, जिनमें भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ऋणदाता और न्यायाधिकरण शामिल हैं, के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच का प्रस्ताव किया गया था, ताकि कंपनियों को शीघ्र, एक समान मानक पर और कुशल तरीके से बचाया जा सके। इसके साथ ही गुरुवार को संसद ने अपनी बजट प्रक्रिया पूरी कर ली और वित्त विधेयक राज्य सभा में पारित
हो गया।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि फरवरी में पारित लेखानुदान के मुताबिक बजट 2024 में भी सभी चीजें बरकरार रखी गई हैं और पूंजीगत व्यय जारी रहेगा, जो 11.11 लाख करोड़ रहने का संकेत पहले दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘महामारी काल से ही निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2023 में यह 6.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 2022 में 4.9 लाख करोड़ रुपये था।’ उन्होंने कहा कि विनिर्माण के उच्च संकेतकों जैसे पीएमआई के आंकड़ों से पिछले 3 साल में विस्तार का पता चलता है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में 2013 में लगातार 8 महीनों तक विनिर्माण गतिविधियों में संकुचन आया था। खासकर टेलीकॉम सेक्टर सहित13 उभरते क्षेत्रों में पीएलआई योजना के परिणाम आने लगे हैं।

कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में हमने कोई कटौती नहीं की है, बल्कि अधिक धन दिया गया है। पिछले साल 1.44 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जो 8,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये हो गया है। संक्षेप में इस साल के बजट में वृद्धि, रोजगार, पूंजीगत व्यय और राजकोषीय घाटे में कमी लाने को लेकर संतुलन बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हमने इन सभी मोर्चों पर संतुलन स्थापित किया है और किसी सेक्टर में समझौता नहीं किया गया है।

एलटीसीजी को लेकर उन्होंने कहा कि इस पर बहुत कुछ कहा जा चुका है और पूंजीगत लाभ कर को लेकर बहुत कुछ कहा गया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमें बजट के बाद बहुत प्रस्तुतियां मिलीं। खासतौर एलटीसीजी के लिए इंडेक्सेशन के बगैर 12.5 प्रतिशत कर को लेकर तमाम प्रस्तुतियां मिलीं। लोगों की राय जानने के बाद हमने संशोधन पेश किया और बदलाव किया। बदलाव के बाद एसटीसीजी के मामले में करदाताओं को विकल्प दिया गया है। लोगों की राय मिलने के बाद उठाया गया यह कदम एक प्रगतिवादी कदम है।’

परिवारों की बचत को लेकर उठाई गई चिंता पर उन्होंने कहा कि लघु बचत ही एकमात्र तरीका नहीं है। लोग तमाम तरीके तलाशते हैं, जिससे उन्हें मदद मिलती है। वित्तीय बचत में आज कई अन्य पोर्टफोलियो शामिल हैं, जो छोटे परिवारों के लिए उपलब्ध हैं।

उन्होंने जीवन रक्षक दवाओं को लेकर सरकार के रुख पर कहा कि 2021 से ही हमने व्यक्तिगत इस्तेमाल वाली दवाओं के मामले में दवाओं पर कर छूट दी है।
कर व्यवस्था में सुधार को लेकर उन्होंने कहा कि आयकर रिफंड को लेकर सीबीडीटी व्यवस्थित तरीके से काम कर रहा है और हमने अपना प्रदर्शन पिछले 3 साल में लगातार सुधारा है। रिटर्न की औसत प्रॉसेसिंग अवधि 2013-14 के 93 दिन से घटकर 2023-24 में 10 दिन रह गई है।

First Published - August 8, 2024 | 10:48 PM IST

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