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उद्योग ही नहीं, ग्रामीण उपभोक्ता भी बढ़ा रहे मांग- Tata Power सीईओ प्रवीर सिन्हा 

Tata Power के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा दीर्घावधि में देश की बिजली मांग में वृद्धि को लेकर आशावादी हैं।

Last Updated- February 15, 2024 | 10:32 PM IST
उद्योग ही नहीं, ग्रामीण उपभोक्ता भी बढ़ा रहे मांग- Tata Power सीईओ प्रवीर सिन्हा , Domestic, rural consumers also driving power demand: Tata Power CEO
टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा

टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा दीर्घावधि में देश की बिजली मांग में वृद्धि को लेकर आशावादी हैं। कंपनी अगले तीन वित्त वर्ष के दौरान 60 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी जिसमें महत्त्वपूर्ण निवेश अक्षय ऊर्जा में किया जाएगा। अमृता पिल्लै के साथ साक्षात्कार में सिन्हा ने कोयला खदानों के मामले में कंपनी की योजनाओं पर चर्चा की, जो कार्बन शुद्ध शून्य की दिशा में ठोस प्रयास है। प्रमुख अंश :

देश की बिजली मांग में क्या-क्या मौके और चुनौतियां हैं?

पिछले दो साल में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) तकरीबन 10 प्रतिशत रही है, जो इस लिहाज से असाधारण है कि पहले वृद्धि दर पांच से छह प्रतिशत के दायरे में हुआ करती थी। यह पहले उद्योगों और वाणिज्यिक क्षेत्र से संचालित थी, लेकिन अब सरकारी योजनाओं की बदौलत ग्रामीण मांग भी बढ़ गई है। 

मुझे उम्मीद है कि मांग वृद्धि जारी रहेगी, सिर्फ दो-तीन साल ही नहीं बल्कि इससे भी अधिक। देश भर में भीषण गर्मी और जोरदार सर्दी के कारण बिजली की भारी मांग हो रही है जबकि कम बर्फबारी के कारण पनबिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

जल-आधारित विद्युत इकाइयों पर कम बर्फबारी का किस तरह का असर होता है?

इन संयंत्रों की स्थापना में चुनौतियों की वजह से ज्यादा पनबिजली परियोजनाएं नहीं आ रही हैं। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए, मौजूदा कोयला, गैस, पनबिजली और कई नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को पूरी क्षमता पर उत्पादन करने की जरूरत होगी।

इस तरह की मांग वृद्धि से आम तौर पर व्यापारिक बिजली दरों में इजाफा होता है। क्या आप इसमें अपना निवेश बढ़ाएंगे?

हमारे अधिकांश संयंत्रों की क्षमताएं दीर्घकालिक आधार से जुड़ी हुई हैं। हमारे कुल उत्पादन का लगभग पांच प्रतिशत हिस्सा अल्पकालिक या दिन के बाजार में है। उस निवेश में बदलाव की हमारी कोई योजना नहीं है। हमारा सरल विनियमित कारोबार है, जो हमें दीर्घकालिक आधार पर अपने ग्राहकों को सेवा देने में सक्षम बनाता है।

लाल सागर संकट के मद्देनजर कोयला बाजार के बारे में आपका क्या नजरिया है?

हमारा ज्यादातर कोयला इंडोनेशिया से आता है। हमें किसी छूट के आसार नहीं दिख रहे हैं। अगर यह होती भी है तो कुछ ही वक्त के लिए होती है।

कोयला खदान परिसंपत्तियों के मामले में दीर्घकालिक योजना क्या है?

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे तापीय संयंत्र मौजूदा बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की अवधि तक चलते रहेंगे और उसके बाद उन्हें बंद कर दिया जाएगा। हमारा कोयला खदान कारोबार अलग है, जहां हमारा इक्विटी निवेश है। 

हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। शायद सही वक्त पर हम विनिवेश का फैसला कर सकते हैं बशर्ते यह कारोबार के लिहाज से सही हो और हमारे शेयरधारकों को बेहतर मूल्य देता हो।

आप वित्त वर्ष 27 तक 60,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रहे हैं। कृपया रकम जुटाने की योजनाओं के बारे में जानकारी दें।

हर साल हमारा पूंजीगत व्यय मौजूदा कारोबारों के साथ-साथ नए कारोबारों में भी जाता है। अक्षय ऊर्जा कारोबार में हमारा बड़ा पूंजीगत व्यय होगा, जहां हम क्षमता बढ़ा रहे हैं। इसमें वह विनिर्माण संयंत्र (सौर मॉड्यूल और सेल वाला) भी शामिल है, जो हमने स्थापित किया है। 

इस साल हम करीब 15,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय कर रहे हैं और इसके बाद वित्त वर्ष 27 तक अगले तीन साल में हम 60,000 करोड़ रुपये के निवेश पर विचार कर रहे हैं। पैसा जुटाने की अभी योजना नहीं बनाई गई है, लेकिन सही समय पर पैसा जुटाने के लिए हम अपने सर्वोत्तम तरीके का मूल्यांकन कर रह हैं।

First Published - February 15, 2024 | 10:32 PM IST

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