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Real Estate: वित्त मंत्रालय मकान मालिकों को दे सकता है थोड़ी राहत, नए LTCG नियमों में बदलाव की उम्मीद

Budget 2024 में पूंजी लाभ कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। वित्त विधेयक के संसद में पारित होने से पहले नए बदलाव को उसमें शामिल किया जा सकता है।

Last Updated- August 05, 2024 | 8:34 AM IST
TDS on rent

वित्त मंत्रालय मकान मालिकों को थोड़ी राहत दे सकता है। मंत्रालय की योजना आम बजट में घोषित दीर्घावधि पूंजी लाभ कर (LTCG) में कुछ बदलाव करने की है। बजट में प्रॉपर्टी और सोना सहित असूचीबद्ध संपत्तियों से इंडेक्सेशन लाभ वापस लेने का प्रस्ताव किया गया था।

इसके तहत इस व्यवस्था की प्रभावी तिथि को अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) तक टाले जाने का निर्णय हो सकता है। फिलहाल यह नियम 23 जुलाई, 2024 से लागू है। इसके अलावा सभी परिसंपत्ति श्रेणी की खरीद पर ग्रैंडफादरिंग से संबंधित चर्चा हुई है, जिसमें ऐसी संपत्तियां भी शामिल हैं जहां इंडेक्सेशन का प्रावधान लागू हो सकता है।

मामले की जानकारी रखने वाले एक आधिकारिक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘लोगों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से प्रस्तावित व्यवस्था (एलटीसीजी) में कुछ तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है।’ हालांकि इसमें आमूलचूल बदलाव की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र द्वारा साझा किए गए कुछ आंकड़ों के बाद इस पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

रियल एस्टेट उद्योग का दावा है कि प्रस्तावित व्यवस्था से मकान मालिकों के साथ ही रियल्टी क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि वित्त विधेयक के संसद में पारित होने से पहले नए बदलाव को उस में शामिल किया जा सकता है।

चालू वित्त वर्ष के बजट में पूंजी लाभ कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत मकान जैसी असूचीबद्ध संपत्तियों पर एलजीसीटी को मौजूदा 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी किया गया है मगर 1 अप्रैल, 2001 के बाद खरीदे गए मकानों पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा।

इस प्रस्ताव ने रियल एस्टेट क्षेत्र की चिंता बढ़ा दी क्योंकि इंडेक्शेसन में मकान मालिकों को कराधान के उद्देश्य से मुद्रास्फीति का ध्यान रखा जाता है। नए नियम के तहत मकान मालिक मुद्रास्फीति को समायोजित नहीं कर पाएंगे और उन्हें अपनी पुरानी संपत्तियों की बिक्री पर ज्यादा कर चुकाना होगा।

ईवाई में सीनियर एडवाइजर सुधीर कपाडिया ने कहा, ‘केवल एक कट-ऑफ तारीख (2001) तय करने से दस साल से ज्यादा पहले खरीदी गई अचल संपत्ति के कई मामलों में मदद नहीं मिल सकती है, जहां बाजार मूल्य में वृद्धि खरीद की इंडेक्शेसन लागत के लगभग बराबर या उससे कम है।’

उनके अनुसार बेहतर विकल्प यह होगा कि पहले के इंडेक्शेसन प्रावधान (20 फीसदी कर के साथ) की तरह बजट से पहले खरीदी गई सभी संपत्तियों को ग्रैंडफादरिंग की सुविधा दी जाए और 23 जुलाई के बाद खरीदी गई संपत्तियों पर 12.5 फीसदी कर (बगैर इंडेक्शेसन) लागू किया जा सकता है।

उद्योग का मानना है कि नए नियम की समीक्षा 1 जनवरी, 2018 के अनुरूप की जा सकती है, जब इक्विटी पर कई वर्षों के बाद दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर फिर से लागू किया गया था।

इंडेक्शेसन को हटाने के पीछे सरकार का उद्देश्य कर की गणना प्रक्रिया को सरल बनाना है। मगर इस बदलाव से संपत्ति मालिकों पर ज्यादा कर देनदारी बन सकती है क्योंकि वास्तविक खरीद कीमत को अब पूंजीगत लाभ की गणना में उपयोग किया जाएगा और इसमें मुद्रास्फीति को समायोजित करने की सुविधा नहीं होगी।

बजट की घोषणा के एक दिन बाद 24 जुलाई को आयकर विभाग ने कर व्यवस्था पर विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया था। आयकर विभाग द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए स्पष्टीकरण में कहा गया था कि एक मुद्दा सामने आया है कि 2001 से पहले खरीदी गईसंपत्तियों के 1 अप्रैल, 2001 को खरीद की लागत क्या होगी? तो 1 अप्रैल, 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों (जमीन या मकान) की लागत उसकी खरीद कीमत होगी या 1 अप्रैल, 2001 को ऐसी संपत्तियों का उचित बाजार मूल्य (स्टांप शुल्क ममूल्य से अधिक नहीं, जो भी उपलब्ध हो) होगा। करदाता इसमें कोई भी विकल्प चुन सकते हैं।

First Published - August 5, 2024 | 7:07 AM IST

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