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मध्य प्रदेश में दूध के उबाल को रोकेगा सांची-अमूल समझौता!

प्रस्तावित समझौते के औपचारिक रूप लेने के बाद मध्य प्रदेश में अमूल किसानों से सीधे दूध खरीदने के बजाय सांची के माध्यम से दूध की खरीद करेगा।

Last Updated- January 18, 2024 | 7:31 PM IST
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मध्य प्रदेश सरकार और गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (अमूल) के बीच दूध की खरीद-बिक्री को लेकर समझौते की बात चल रही है। प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर अमूल के जवाब का इंतजार है।

समझौते के तहत अमूल, मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेरी फेडरेशन (सांची) से दूध खरीदेगा। प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को अमूल की औपचारिक सहमति मिलते ही उज्जैन के औद्योगिक क्षेत्र विक्रम उद्योगपुरी में स्थित अमूल के पांच लाख लीटर रोजाना क्षमता वाले संयंत्र को सांची के दूध की आपूर्ति आरंभ की जाएगी।

प्रस्तावित समझौते के पूरा होने से सहकारिता की भावना होगी मजबूत

सांची के प्रबंध निदेशक सतीश कुमार एस ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘नियमों के मुताबिक हम अतिरिक्त दूध दूसरी सहकारी समितियों को बेच सकते हैं। फिलहाल अमूल प्रदेश के दूध उत्पादकों की प्रस्तावित सहकारी समितियों से दूध की खरीद कर रहा है। हमारा प्रयास है कि अमूल यह दूध हमारे जरिये खरीदे। इससे एक ओर सहकारिता की भावना को मजबूती मिलेगी वहीं दूसरी ओर दोनों के प्रतिस्पर्धा की स्थिति टालने और सहयोग बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।’

मध्य प्रदेश के उज्जैन में अमूल का एक संयंत्र है जबकि दो अन्य स्थानों पर वह सहयोगी उपक्रमों के माध्यम से दूध की पैकिंग करता है। डेरी उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अमूल असंगठित क्षेत्र के दूध उत्पादकों से सांची की सहकारी समितियों की तुलना में अधिक कीमत देकर दूध की खरीद कर रहा है। इसके चलते बाजार में अनिश्चितता बढ़ रही है और दूध उत्पादकों को अधिक भुगतान करने का भी दबाव पैदा हुआ है। इस स्थिति से निपटने के लिए सांची अमूल के साथ समझौता कर रहा है ताकि इस खरीद को संस्थागत रूप दिया जा सके।

समझौता हो जाने के बाद चीजें और अधिक पारदर्शी हो जाएंगी

सतीश कुमार एस ने कहा, ‘अगस्त से जनवरी महीने तक दूध उत्पादकों के पास दूध प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है। सांची की वर्तमान दूध खरीद क्षमता 10 लाख लीटर प्रति दिन है। जबकि सांची हर रोज सात-आठ लाख लीटर दूध की बिक्री करता है। शेष दूध से घी-मक्खन, मिल्क पावडर, चीज, मिठाइयां आदि बनाई जाती हैं किंतु उसके बाद भी अधिशेष दूध बच जाता है। कोशिश है कि यह दूध अमूल को बेचा जाए जो फिलहाल मध्य प्रदेश में रोज करीब दो लाख लीटर दूध बेच रहा है लेकिन उज्जैन संयंत्र की शुरुआत के बाद उसे और दूध की आवश्यकता होगी।’

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गत वर्ष कर्नाटक में हुए अमूल-नंदिनी विवाद का उल्लेख करने पर सतीश कुमार एस ने कहा कि मध्य प्रदेश में ऐसी कोई स्थिति बनने की संभावना नहीं है क्योंकि यहां अमूल पहले से दूध कारोबार में है। सांची के साथ समझौता हो जाने के बाद चीजें और अधिक पारदर्शी हो जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘हम किसी तरह के टकराव की स्थिति नहीं बनने देना चाहते हैं बल्कि हम चाहते हैं कि दोनों फेडरेशन का समझौता सहकारिता के क्षेत्र में सहयोग की एक नई मिसाल कायम करे।’

मध्य प्रदेश का दूध बाजार तकरीबन 1,10,000 करोड़ रुपये का

गौरतलब है कि सांची का कुल टर्नओवर 2,200 करोड़ रुपये का है जिसमें से करीब 1,600 करोड़ रुपये की राशि सीधे दूध उत्पादकों को जाती है। प्रदेश में सांची करीब 7,000 सहकारी समितियों के माध्यम से दूध का संग्रहण करता है। सांची ने 2022 में 22.12 मिलियन मीट्रिक टन दूध खरीदा। प्रदेश के दूध बाजार का आकार तकरीबन 1,10,000 करोड़ रुपये का है।

प्रदेश के प्रमुख डेरी उत्पादों में दूध, घी, दही, पनीर, आइसक्रीम, मक्खन, दूध पॉवडर और छाछ आदि शामिल हैं। इनमें भी सबसे बड़ा हिस्सा, दूध-दही और छाछ का है। प्रदेश में कारोबार कर रही डेरी कंपनियों में सांची, अमूल, सौरभ (अनिक) और मदर डेरी आदि प्रमुख हैं।

First Published - January 18, 2024 | 7:31 PM IST

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