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DMRC के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दहल गए Reliance Infrastructure के शेयर, 20 फीसदी गिरे

Reliance Infra Share Price: Reliance Infrastructure की DAMEPL और DMRC के इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की बेंच कर रही थी।

Last Updated- April 10, 2024 | 6:23 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज यानी बुधवार को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में जबरदस्त भूचाल आ गया और इसके शेयर 20 फीसदी तक टूट गए। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने आज अपने ही पुराने आदेश को पलटते हुए कहा कि Delhi Airport Metro Express Pvt Ltd (DAMEPL) को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को करीब 8,000 करोड़ का भुगतान नहीं करना होगा।

बता दें कि चीफ जस्टिस के साथ सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस बी आर गवई (B R Gavai ) और जस्टिस सूर्य कांत (Surya Kant) शामिल थे।

DMRC को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 2021 के फैसले को रद्द कर दिया और माना कि PSU कंपनी DMRC दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) को 2017 के मध्यस्थता फैसले के तहत बकाये का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं थी। यानी अब DMRC को रिलायंस इंफ्रा को 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

शेयरों में जबरदस्त गिरावट

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कंपनी के शेयरों में BSE पर 19.99 फीसदी गिरावट आई और वे 227.40 रुपये पर पहुंच गए। इसके साथ ही इसके शेयों ने लोअर सर्किट लिमिट को भी पार कर दिया।

NSE पर Reliance Infra के शेयर 20 फीसदी गिरकर 227.60 रुपये की दिन की न्यूनतम ट्रेडिंग स्वीकार्य सीमा (lowest trading permissible limit ) पर पहुंच गए।

इसके साथ ही कंपनी की वैल्यूएशन में भी गिरावट देखने को मिली। कंपनी का बाजार मूल्यांकन (mcap) 2,250.02 करोड़ रुपये घटकर 9,008.02 करोड़ रुपये हो गया।

हाईकोर्ट के फैसले को पलटना था गलत

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करके गलती की। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने 2019 में DMRC के खिलाफ बकाये भुगतान को अदा करने की DAMEPL की याचिका को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करके सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पष्ट रूप से अवैध बकाया भुगतान को बहाल कर दिया और कहा कि DMRC की तरफ से अब तक जमा की गई राशि वापस कर दी जाएगी और पार्टियों को उनकी स्थिति में बहाल कर दिया जाएगा, जिस स्थिति में वे दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की घोषणा की तारीख पर थे।

इस लिहाज से DMRC की ओर से अब तक जमा की गई भुगतान राशि को भी DAMEPL को वापस करना होगा।

हालांकि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक फाइलिंग में कहा, ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर यह स्पष्ट करना चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित 10 अप्रैल, 2024 का आदेश कंपनी पर कोई असर नहीं डालता है और कंपनी को ऑर्बिटरी अवॉर्ड के तहत DMRC / DAMEPL से कोई पैसा नहीं मिला है।’

क्या है Reliance Infrastructure की DAMEPL और DMRC के बीच मामला, समझिये शुरू से लेकर अंत तक

बता दें कि DAMEPL रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी कंपनी है। DMRC और DAMEPL के बीच 2008 में 30 साल के लिए समझौता हुआ था, जिसके तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) से सेक्टर 21 द्वारका (Dwarka Sector 21) तक एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन की डिजाइन, इंस्टॉलेशन, कमीशन, ऑपरेशन और मेंटिनेंस का काम करना था।

इस सौदे के तहत DMRC ने सभी सिविल कंस्ट्रक्शन के निर्माण का काम संभाला और DAMEPL सभी सिस्टम वर्क्स के लिए जिम्मेदारी ली। हालांकि, जुलाई 2012 में, DAMEPL ने वायडक्ट में खामियां पाए जाने के कारण ऑपरेशन रोक दिया और समस्या को ठीक करने के लिए DMRC और पार्टी इन चार्ज को नोटिस जारी किया।

अक्टूबर 2012 में, DAMEPL ने टर्मिनेशन नोटिस (termination notice) दिया, जिसके कारण अधिकारियों ने नवंबर 2012 में निरीक्षण किया। इसके बाद, जनवरी 2013 में ऑपरेशन के लिए मेट्रो लाइन को मंजूरी दे दी गई।

हालांकि DAMEPL ने जनवरी में लाइन को फिर से शुरू किया, लेकिन यह जून 2013 में पांच महीने के भीतर प्रोजेक्ट से हट गया। इसने DMRC को कॉन्ट्रैक्ट में ऑर्बिटरेशन सेक्शन को लागू करने के लिए मजबूर किया और DMRC ट्रिब्यूनल पहुंच गई।

बाद में मध्यस्थ न्यायाधिकरण (arbitral tribunal ) ने DAMEPL के पक्ष में फैसला सुनाया, और DMRC को 2017 में 2,782.33 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।

इसके बाद, DMRC ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जहां 2018 में सिंगल बेंच ने शुरुआत में याचिका खारिज कर दी। हालांकि, बाद में एक बेंच ने ऑर्बिटल ट्रिब्यूनल के फैसले को पलट दिया और इसे ‘भारत की सार्वजनिक नीति के विपरीत’ (in conflict with the public policy of India) माना।

इसके बाद, DAMEPL ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती और फैसले को बरकरार रखा।

इस फैसले के बाद DMRC ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल, 2024 को अनुमति दे दी और अपने पुराने आदेश को पलट दिया।

14 फरवरी, 2022 तक, बकाया राशि 8009.38 करोड़ रुपये थी, जिसमें DMRC ने कुल राशि में से 1678.42 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था। फरवरी 2023 में, DAMEPL ने कोर्ट को सूचित किया कि लंबित राशि अब 6330.96 करोड़ रुपये है।

First Published - April 10, 2024 | 5:57 PM IST

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