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सबसे बड़ा सरकारी फंड GPFG नहीं करेगा अदाणी पोर्ट्स में निवेश

Adani Ports: नॉर्वे के केंद्रीय बैंक ने अमेरिका की एल3हैरिस टेक्नोल़ॉजीज और चीन को वीचाई पावर को भी उन कंपनियों की फेहरिस्त में डाल दिया है, जिनमें निवेश नहीं किया जाएगा।

Last Updated- May 16, 2024 | 10:58 PM IST
सबसे बड़ा सरकारी फंड GPFG नहीं करेगा अदाणी पोर्ट्स में निवेश, Norway excludes Adani Ports from govt pension fund over ethical concerns
Karan Adani, Managing Director Of Adani Ports And Special Economic Zone Limited

नॉर्वे के सरकारी वेल्थ फंड गवर्नमेंट पेंशन फंड ग्लोबल (जीपीएफजी) ने अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) में निवेश करने से इनकार कर दिया है। उसने आज कहा कि एपीएसईजेड द्वारा म्यांमार में किए गए एक बंदरगाह सौदे पर विचार करने के बाद उसने नैतिक आधार पर यह निर्णय लिया है।

जीपीएफजी दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी वेल्थ फंड है, इसलिए उसके इस फैसले को अदाणी पोर्ट्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कंपनी संचालन में अनियमितता के आरोप लगने के बाद पिछले साल से ही अदाणी समूह विवाद में रहा है। इस बीच नॉर्वे के केंद्रीय बैंक ने अमेरिका की एल3हैरिस टेक्नोल़ॉजीज और चीन को वीचाई पावर को भी उन कंपनियों की फेहरिस्त में डाल दिया है, जिनमें निवेश नहीं किया जाएगा।

फंड की नैतिक परिषद के बयान में कहा गया है, ‘नैतिक परिषद की सिफारिश है कि एपीएसईजेड में जीपीएफजी द्वारा निवेश नहीं किया जाना चाहिए। यह सिफारिश इसलिए की गई है क्योंकि कंपनी युद्ध या टकराव की स्थिति में लोगों के अधिकारों के गंभीर उल्लंघन को बढ़ावा देती पाई गई है।’

परिषद की रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार में सशस्त्र सेना के साथ कारोबारी जुड़ाव के कारण मार्च 2022 से ही एपीएसईजेड पर नजर रखी जा रही है। परिषद के इस फैसले से पहले ही एपीएसईजेड यह विवादित बंदरगाह 3 करोड़ डॉलर में बेच चुकी थी। खबरों के मुताबिक उसने 15 करोड़ डॉलर कम कीमत में यह सौदा किया था।

वेल्थ फंड की नैतिक परिषद के अनुसार यह सौदा करने वक्त पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई। बंदरगाह सोलर एनर्जी लिमिटेड नाम की एक कंपनी को बेच दिया गया मगर यह नहीं बताया गया कि इस कंपनी का मालिक कौन है और इस पर किसका नियंत्रण है। परिषद के बयान में कहा गया, ‘पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण परिषद यह पता नहीं कर सकती कि एपीएसईजेड का उस कंपनी के साथ कोई संबंध है या नहीं।’

एपीएसईजेड के साथ परिषद के पत्राचार के मुताबिक अदाणी पोर्ट्स ने भारतीय नियामक के समक्ष दोहराया था कि सौदा जिस कंपनी से हुआ है, उसका एपीएसईजेड से कोई लेना-देना नहीं है।

एपीएसईजेड ने परिषद को बताया, ‘हमने पूरी शिद्दत से प्रयास किया कि मालिकान नियंत्रण सही हाथों में पहुंचे बंदरगाह का इस्तेमाल म्यांमार के लोगों विकास के लिए हो। मगर हमारे भरसक प्रयासों के बावजूद इस सौदे में हमें 12.73 अरब रुपये का घाटा झेलना पड़ा।’

परिषद इस नतीजे पर पहुंची कि जानकारी की कमी, इस मामले में ऑडिटर की भूमिका और कंपनी के लेनदेन में पारदर्शिता नहीं होने के कारण एपीएसईजेड में जीपीएफजी का निवेश फंड के नैतिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन होगा, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा।

एपीएसईजेड से इस घटनाक्रम पर सवाल पूछे गए मगर समाचार लिखे जाने तक वहां से कोई जवाब नहीं आया। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड का शेयर 0.3 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 1,352 रुपये पर बंद हुआ।

इस परियोजना की घोषणा मई 2019 में हुई थी मगर 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद कंपनी विवादों में फंस गई। कंपनी पर आरोप लगे कि वह म्यांमार में लोगों पर अत्याचार में सेना का परोक्ष साथ दे रही है।

(साथ में नई दिल्ली से श्रेया जय)

First Published - May 16, 2024 | 10:58 PM IST

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