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‘हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे’, श्रीपेरुंबुदुर में सैमसंग इंडिया के फैक्ट्री में 200 कर्मचारी परिवार संग हड़ताल पर क्यों बैठे हैं?

इस विरोध-प्रदर्शन में भाग लेने वाले कर्मचारियों ने बताया कि बुधवार (19 फरवरी) से हड़ताल की धार और भी तेज हो जाएगी।

Last Updated- February 17, 2025 | 10:18 PM IST

सैमसंग इंडिया के कर्मचारी प्रबंधन की  अनुशासनात्मक कार्रवाई के ​खिलाफ आज सड़कों पर उतर गए। करीब 200 कर्मचारी और उनके परिवार के लोग सिपकोट औद्योगिक पार्क में कंपनी की इकाई से करीब 2 किलोमीटर दूर सुंगुवरछत्रम में विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।

इस विरोध-प्रदर्शन में भाग लेने वाले कर्मचारियों ने बताया कि बुधवार (19 फरवरी) से हड़ताल की धार और भी तेज हो जाएगी। सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन (एसआईडब्ल्यूयू) के अध्यक्ष और सीटू के कांचीपुरम जिला सचिव ई मुत्तुकुमार ने वहां मौजूद लोगों को संबो​धित करते हुए कहा, ‘हम बुधवार को प्रबंधन के साथ चर्चा करने जा रहे हैं। उसी आधार पर 19 फरवरी को हमारा रुख तय होगा। सीटू की प्रतिक्रिया काफी खतरनाक होगी।’ 

हड़ताल शुरू हुए करीब दो सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन कारखाने में उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ क्योंकि प्रबंधन ने ठेका श्रमिकों को काम पर लगाया है। यूनियन ने कहा कि 21 फरवरी को कारखाने में कामकाज बंद करा दिया जाएगा ताकि प्रबंधन बाहर से ‘अवैध ठेका’ श्रमिकों को तैनात न कर सके।

बाहर से देखने पर सुंगुवरछत्रम में विरोध-प्रदर्शन मामूली लग सकता है, क्योंकि एक छोटे से शहर में कर्मचारियों का एक छोटा समूह हड़ताल कर रहा है। मगर एक कंपनी के तौर पर सैमसंग के लिए यह हड़ताल काफी मायने रखती है। द​क्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता की भारत में 12 अरब डॉलर की कुल बिक्री में इस कारखाने से बने रेफ्रिजरेटर, टीवी और वॉशिंग मशीन की हिस्सेदरी करीब 20 फीसदी है। चेन्नई से करीब 50 किलोमीटर दूर इस छोटे शहर में करीब 600 कंपनियां मौजूद हैं जिनमें ह्युंडै मोटर, फॉक्सकॉन, सेंट-गोबेन के अलावा कई अन्य प्रमुख वै​श्विक कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रही हैं।

एसआईडब्ल्यूयू के करीब 600 कर्मचारी श्रीपेरुंबुदुर में सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स के परिसर में 5 फरवरी से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सीटू द्वारा समर्थित यूनियन के तीन पदाधिकारियों को प्रबंधन द्वारा निलंबित किए जाने के बाद वह विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था। 

प्रबंधन के एक सूत्र ने बताया कि कर्मचारियों के एक समूह द्वारा कारखाने के एक शीर्ष अधिकारी से जबरन मिलने की कोशिश किए जाने के बाद उनके ​खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। एक कर्मचारी ने कहा, ‘हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। हमारी मांग है कि कर्मचारियों के ​खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को वापस लिया जाए।’ 

कर्मचारी ने एक पहचान पत्र पहन रखा था जिससे पता चलता था कि वह उस कारखाने में मुख्य उत्पादन लाइन पर काम करते हैं। एक अन्य कर्मचारी ने कहा, ‘सैमसंग की इस इकाई के भीतर 200 कर्मचारियों का एक अन्य समूह विरोध-प्रदर्शन कर रहा है।’

मुत्तुकुमार ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि उन्हें अन्य सिपकोट क्षेत्रों के कर्मचारियों का भी समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे भी सैमसंग कर्मचारियों के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। इसमें आरएनएस सिपकोट, वल्लम वडागल, इरुंगट्टुकोट्टई और मम्बक्कम जैसे औद्योगिक पार्क के कर्मचारी शामिल हैं। दूसरी ओर कंपनी ने कहा, ‘वह समस्या को निपटाने के लिए अपने कर्मचारियों के साथ एक सामूहिक समझौता करने की कोशिश जारी रखेगी। इसके अलावा सरकार के जरिये बातचीत के लिए भी उसका दरवाजा खुला रहेगा।’

उस इलाके के एक वरिष्ठ सीटू नेता ए जेनिटन ने कहा, ‘अगर 19 फरवरी की बातचीत हमारे पक्ष में नहीं रही तो हम 21 फरवरी को सैमसंग के इस कारखाने पर ताला जड़ देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ठेका श्रमिकों के जरियरे अवैध तरीके से काम न कराया जाए।’

पारंपरिक तौर पर श्रीपेरुंबुदुर को वाहन, वाहनों के कलपुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण सामग्री, औद्योगिक मशीनरी और अक्षय ऊर्जा के एक प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में जाना जाता है। दिलचस्प है कि मौजूदा हड़ताल 37 दिनों तक चली उस हड़ताल के बाद शुरू हुई है जिसने पिछले साल सैमसंग के कारखाने उत्पादन को आंशिक तौर पर बाधित कर दिया था। कर्मचारियों ने कहा कि वे एसआईडब्ल्यूयू को मान्यता मिलने के बावजूद कंपनी द्वारा गठित समिति में उन्हें शामिल किए जाने के प्रयासों का भी विरोध कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि कंपनी ने इस समिति में शामिल होने वाले कर्मचारियों को 3,00,000 रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने की घोषणा की है।

सैमसंग के प्रवक्ता ने कहा, ‘कंपनी अपने कामगारों के साथ एक सामूहिक समझौता करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। किसी भी कर्मचारी को श्रमिक समिति में शामिल होने या यूनियन छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी वैश्विक आचार संहिता में बताया गया है कि ऐसे भी वर्ताव को कतई बर्दाश्त न करने की हमारी नीति है जो कार्यस्थल पर पेशेवर एवं सम्मानजनक माहौल के खिलाफ है। संबंधित कर्मचारियों ने कंपनी की इस नीति का उल्लंघन किया है और उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है तथा औपचारिक जांच के बाद उनके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।’

एसआईडब्ल्यूयू के नेताओं ने संकेत दिया कि प्रबंधन अपने रुख पर अड़ा हुआ है और उनकी बातों पर गौर नहीं कर रहा है। दोनों पक्षों के अपने रुख पर अड़े रहने के कारण अगर बुधवार की बैठक में कोई समाधान नहीं निकलता है तो आने वाले दिनों में विरोध-प्रदर्शन तेज हो सकता है।

First Published - February 17, 2025 | 10:18 PM IST

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