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बदलेंगे बैंक स्वामित्व के नियम! विदेशी निवेशकों के लिए खुलेंगे नए दरवाजे

रिजर्व बैंक ने पिछले महीने अपने नियमों में ढील देकर जापान की सूमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन को येस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दे दी थी।

Last Updated- June 03, 2025 | 10:46 PM IST
rbi dividend 2025
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भविष्य में  नियमों में संभावित बदलाव के संकेत दे रहा है, जिससे विदेशियों को भारत के बैंकों में अधिक हिस्सेदारी मिल सकेगी। विदेशी संस्थाओं की अधिग्रहण के प्रति उत्सुकता तथा तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अधिक दीर्घकालिक पूंजी की आवश्यकता के कारण इस पर विचार हो रहा है।

रिजर्व बैंक ने पिछले महीने अपने नियमों में ढील देकर जापान की सूमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन को येस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दे दी थी। वहीं दो विदेशी संस्थाएं आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी के लिए होड़ में हैं। इसकी वजह से विदेशी स्वामित्व नियमों को आसान बनाने का दबाव बना है। भारत में यह नियम किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में सख्त है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पिछले सप्ताह टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि केंद्रीय बैंक व्यापक समीक्षा के तहत बैंकों के शेयरहोल्डिंग और लाइसेंसिंग नियमों की जांच कर रहा है।  

इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि रिजर्व बैंक नियमन के दायरे में आने वाली वित्तीय संस्थाओं को बड़ी हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए अधिक खुला होगा, जिसमें अलग अलग मालमों के आधार पर मंजूरी मिलेगी तथा कुछ नियमों में बदलाव किया जाएगा, जिससे विदेशी अधिग्रहण के प्रति उत्साह की कमी को दूर किया जा सके।

विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी बैंक विश्व की सबसे तेज बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत के साथ सौदे करने को इच्छुक हैं। खासकर इस समय भारत द्वारा किए जा रहे व्यापार समझौतों को देखते हुए यह उत्साह और बढ़ा है। इन समझौतों की वजह से एशिया के अन्य देशों और   पश्चिम एशिया में वैश्विक कर्जदाताओं के लिए भारत में नए अवसर खुल सकते हैं।

इंडियन बैंक एसोसिएशन के डिप्टी चेयरमैन माधव नायर ने कहा, ‘यह दिलचस्पी भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बाजार तक पहुंच बनाने से प्रेरित है।’ भारतीय नियामकों को चिंता है कि भारत बैंकिंग पूंजी जुटाने में अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है, जो तेज आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण होगी।  मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस में एसोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर अलका अंबरासु ने कहा कि भारत को मध्यम अवधि के हिसाब से अपनी बैंकिंग व्यवस्था के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, ‘यह एक अच्छा तर्क हो सकता है कि इसी वजह से नियामक अंतरराष्ट्रीय कारोबारियों को बैंकिंग व्यवस्था में लाने पर विचार कर रहा है।’

First Published - June 3, 2025 | 10:13 PM IST

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