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SBI ने MCLR को किया रिवाइज, आज से होंगी लागू; जानें नई दरें और बेस रेट

SBI: MCLR का पूरा नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट है। यह वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिससे कम पर बैंक लोन नहीं दे सकता।

Last Updated- December 15, 2024 | 12:23 PM IST
SBI UPI
Representative Image

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को रिवाइज किया है। यह नई दरें दिसंबर 15, 2024 से प्रभावी होंगी और जनवरी 15, 2025 तक जारी रहेंगी। इसका असर होम लोन, पर्सनल लोन समेत कई तरह के लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा।

SBI की नई MCLR ब्याज दरें दिसंबर 2024: सभी अवधि पर दरें स्थिर

देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने दिसंबर 2024 में अपनी MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) को सभी अवधि के लिए स्थिर रखा है।

  • ओवरनाइट और एक महीने की MCLR: 8.20%
  • तीन महीने की MCLR: 8.55%
  • छह महीने की MCLR: 8.90%
  • एक साल की MCLR (जो आमतौर पर ऑटो लोन से जुड़ी होती है): 9.00%
  • दो साल की MCLR: 9.05%
  • तीन साल की MCLR: 9.10%
  • SBI की इस स्थिर ब्याज दर नीति से ग्राहकों के लिए ईएमआई योजनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा।

MCLR क्या है?

MCLR का पूरा नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट है। यह वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिससे कम पर बैंक लोन नहीं दे सकता।

EMI क्या है?

EMI का मतलब है इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स। इसमें मूलधन (प्रिंसिपल) और ब्याज दोनों शामिल होते हैं, जिन्हें हर महीने चुकाया जाता है।

MCLR बढ़ने से क्यों बढ़ती है लोन की लागत?

जब MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) बढ़ता है, तो बैंकों के लिए ग्राहकों को न्यूनतम ब्याज दर से नीचे लोन देना संभव नहीं होता। इसका मतलब है कि MCLR में वृद्धि होने पर लोन पर ब्याज दरें भी बढ़ जाएंगी। खासतौर पर होम लोन, व्हीकल लोन, और अन्य मार्जिनल कॉस्ट से जुड़े लोन महंगे हो जाते हैं।

EMI कब बढ़ती है?

यह जरूरी नहीं है कि MCLR बढ़ते ही आपकी EMI तुरंत बढ़ जाए। आपकी EMI रीसेट डेट के आधार पर संशोधित होती है। इसका मतलब है कि जब आपकी लोन की अगली रीसेट डेट आएगी, तभी नई ब्याज दर लागू होगी और EMI बढ़ेगी।

First Published - December 15, 2024 | 9:53 AM IST

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