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 इंडसइंड बैंक के लेखांकन में चूक, वित्तीय प्राधिकरण करेगा समीक्षा

एनएफआरए को इंडसइंड बैंक में लेखांकन चूक की शिकायत केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीग्राम्स) के जरिये मिली थी।

Last Updated- June 05, 2025 | 11:13 PM IST
IndusInd Bank
प्रतीकात्मक तस्वीर

इंडसइंड बैंक के मामले में आगे जांच की जरूरत तय करने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) इस बैंक की ऑडिट रिपोर्ट मांगेगा। आधिकारिक सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि ग्रांट थॉर्नटन द्वारा तैयार इस रिपोर्ट को देखकर ही फैसला किया जाएगा कि आगे जांच करानी है या नहीं।

भारतीय रिजर्व बैंक इस मामले की जांच कर रहा है। एनएफआरए उससे भी बात कर रहा है ताकि दोनों एक ही जैसी जांच न कराते रह जाएं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने एनएफआरए को बताया है कि फॉरेंसिंक ऑडिट के लिए उसी ने कहा था। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ही फैसला किया जा सकेगा कि इस मामले में प्राधिकरण को आगे क्या कदम उठाना है।’

एनएफआरए को इंडसइंड बैंक में लेखांकन चूक की शिकायत केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीग्राम्स) के जरिये मिली थी। इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की शेष राशि में कुछ गड़बड़ी की बात बताई थी। बैंक ने कहा कि उसकी विस्तृत आंतरिक समीक्षा में पता चला कि दिसंबर 2024 तक उसकी नेट वर्थ पर 2.35 प्रतिशत चोट पड़ सकती है। 

एनएफआरए सभी सूचीबद्ध संस्थाओं के ऑडिटरों की जांच कर सकता है।

इंडसइंड बैंक ने कहा कि उसके बोर्ड को शक है कि बैंक के साथ हुई इस धोखाधड़ी में ‘लेखा और वित्तीय रिपोर्टिंग में अहम भूमिका वाले कुछ कर्मचारियों का हाथ हो सकता है’। बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए उसकी ऑडिटिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट एमएसकेए ऐंड एसोसिएट्स और एमपी चितले ऐंड कंपनी ने मिलकर की थी।

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के बोर्ड ने 29 मई को फैसला किया कि इंडसइंड बैंक के वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के फाइनैंशियल स्टेटमेंट और वैधानिक ऑडिटर रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी। यदि आईसीएआई के वित्तीय रिपोर्टिंग एवं समीक्षा बोर्ड को पता चलता है कि अनुपालन में किसी गंभीर खामी के कारण वित्तीय ब्योरे की सही और निष्पक्ष समीक्षा नहीं हो पाई हो तो वह मामले को जांच के लिए अपने निदेशक (अनुशासन) के पास भेजेगा। बोर्ड ऐसी चूक की जानकारी सही नियामकीय संस्था को भी देता है ताकि उचित कार्रवाई हो सके।

इंडसइंड बैंक के खुलासे के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खुद ही जांच शुरू की। जांच का मकसद यह पता लगाना है कि डेरिवेटिव्स घाटे के बारे में सार्वजनिक नहीं हुई जिस जानकारी से शेयर का भाव ऊपर-नीचे जा सकता था, उस जानकारी का इस्तेमाल कर शेयरों की खरीदफरोख्त तो नहीं की गई।

बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह इंडसइंड बैंक के पूर्व उप मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अरुण खुराना और पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया सहित 5 वरिष्ठ अधिकारियों को कथित भेदिया कारोबार से कमाए करीब 20 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था।

First Published - June 5, 2025 | 10:29 PM IST

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