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2025 में फायर, इंजीनियरिंग बीमा होगा महंगा: कंपनियों पर बढ़ेगा खर्च का बोझ

प्राकृतिक आपदाओं और उच्च घाटे के कारण बीमा दरों में 60% तक बढ़ोतरी का अनुमान

Last Updated- December 30, 2024 | 11:08 PM IST
Insurance

भारतीय कंपनियों को वर्ष 2025 में फायर (अग्नि) और इंजीनियरिंग का बीमा प्राप्त करने के लिए अधिक प्रीमियम अदा करना पड़ सकता है। इस मामले के जानकार लोगों के मुताबिक इस श्रेणी में ज्यादा विनाशकारी आपदाओं और उच्च घाटे के अनुपात के कारण बीमा की दरें पुन: संशोधित होने का अनुमान है।

हाउडेन इंश्योरेंस ब्रोकर्स के लार्ज अकाउंट प्रैक्टिस (संपत्ति और निर्माण) के प्रमुख हनमंत डुडले के मुताबिक, ‘मई और जून की अवधि में पॉलिसियां लेने वालों पर इसका अधिक असर पड़ेगा। वे ऑक्यूपेंसी के आधार पर बीमा प्रीमियम में 60 फीसदी तक वृद्धि का सामना कर सकते हैं। हालांकि जनवरी 2025 में पॉलिसी रीन्यू कराने वालों को 5 से 10 फीसदी की मामूली वृद्धि का ही सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कोई छूट उपलब्ध नहीं होगी।’

इस उद्योग में कार्यरत सूत्रों के मुताबिक देश के प्रमुख बड़े औद्योगिक समूहों को संचालन के आकार और जटिलता के आधार पर अग्नि बीमा के लिए 5 से 250 करोड़ रुपये का प्रीमियम देते हैं। वर्ष 2024 में देश में कई प्राकृतिक आपदाएं आईं जिसकी वजह से विशेषतौर पर गुजरात और नागपुर में बीमाकर्ताओं और पुनर्बीमाकर्ताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे बीमा प्रीमियम की दरों में मांग और आपूर्ति पर आधारित ‘फ्री प्राइसिंग’ भी प्रभावित हुई है।

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भारतीय जीवन बीमा और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने इस साल अप्रैल में शुल्क सलाहकार समिति की अधिसूचित शब्दावली और कटौती को गैर अधिसूचित कर दिया था। गैर अधिसूचित किए जाने के बाद मई 2024 में फ्री प्राइसिंग का दौर शुरू हुआ जिसके तहत बीमाकर्ता भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबी) के तय दामों को मानने के लिए बाध्य नहीं है और वह अपने कीमत खुद तय कर सकता है। इससे पहले अग्नि और इंजीनियरिंग बीमा में प्रीमियम प्राकृतिक आपदा की घटनाओं के असर के बारे में एकत्रित आंकड़ों के आधार पर तय होता था। इसके बाद यह कीमत के लिए बेंचमार्क की तरह काम करता था।

गैर अधिसूचित किए जाने के बाद कई खंडों में बीमा कारोबार का प्रीमियम 50 फीसदी तक घट गया है। इसका कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिक छूट दिया जाना है। हालांकि इस कारोबार में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण घाटा बढ़ा और बीमाकर्ता व पुनर्बीमाकर्ता दबाव में आ गए हैं। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इससे बीमा कंपनियों के संयुक्त अनुपात पर भी अतिरिक्त दबाव बना है।

प्रूडेंट इंश्योरेंस ब्रोकर्स में लार्ज अकाउंट प्रैक्टिसेज के स्पेशल लाइंस कॉमर्शियल लाइंस के वाइस प्रेसिडेंट दीपक मदान ने कहा, ‘हम प्रीमियम में बड़ी गिरावट और भारी छूट देख चुके हैं। अब यह ऐसी परिस्थिति में ले जाता है जहां बीमाकर्ता का कुल बही खाता और पुनर्बीमाकर्ताओं का बहीखाता प्रतिकूल स्थिति में पहुंच जाए।’

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First Published - December 30, 2024 | 11:05 PM IST

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