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बदले जाएंगे नियम, बैंकों के लिए थोक जमा सीमा 3 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव

इसी तरह से स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के लिए थोक जमाओं की सीमा 1 करोड़ रुपये या इससे ऊपर करने का प्रस्ताव किया गया है, जैसा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए है।

Last Updated- June 07, 2024 | 9:59 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के थोक जमा सीमा की परिभाषा में बदलाव कर इसे 3 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। एससीबी और एसएफबी के लिए 2019 में थोक जमा की सीमा बढ़ाई गई थी और इसे एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर ‘दो करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा’ कर दिया गया था।

इसी तरह से स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के लिए थोक जमाओं की सीमा 1 करोड़ रुपये या इससे ऊपर करने का प्रस्ताव किया गया है, जैसा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए है।

मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमण ने कहा कि यह नियमित समीक्षा के आधार पर है और इससे बैंकों का बेहतर संपत्ति देनदारी प्रबंधन सुनिश्चित हो सकेगा, साथ ही इससे थोक और खुदरा जमा परिभाषित करने में उन्हें मदद मिलेगी।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ‘थोक जमा की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाकर मौजूदा 2 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये करने से ब्याज दर में उतार-चढ़ाव की संवेदनशीलता घटेगी और सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एएससीबी) के लिए बेहतरीन तरीके से संपत्ति व देनदारी के मिलान की सुविधा मिल सकेगी।’

फंड की लागत में बदलाव के असर के बारे में स्वामीनाथन जे ने कहा कि हालांकि इससे कुछ इकाइयों पर असर पड़ सकता है, लेकिन बैंकिंग व्यवस्था के प्रभावित होने की कोई संभावना नहीं है।

स्वामीनाथन ने कहा, ‘हालांकि इसे जमा की लागत बढ़ने की संभावना है लेकिन यह विशुद्ध रूप से इकाई पर निर्भर होगा। यह इस पर निर्भर होगा कि इकाइयां किस मात्रा में इस पर निर्भर हैं और वे किस सेग्मेंट में काम करती हैं। ऐसे में हमारे विचार से कोई व्यवस्थागत असर पड़ने की संभावना नहीं है।

लेकिन कुछ इकाइयों पर लाभदायक या हानिकारक असर हो सकता है। यह इस पर निर्भर होगा कि किस तरह से उनकी देनदारी का प्रबंधन हुआ है। लेकिन इस बदलाव से हम किसी व्यवस्थागत असर की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। ’

विश्लेषकों का कहना है कि परिभाषा में बदलाव से बैंकों के लिए कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। येस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख शिवाजी थपलियाल ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि थोक जमा की परिभाषा में बदलाव किए जाने से जमीनी स्तर पर कोई असर पड़ेगा।’

First Published - June 7, 2024 | 9:41 PM IST

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