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भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने यह सुझाव देते हुए कहा कि इससे राज्यों को विभिन्न तरीकों से 50,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है।

Last Updated- September 22, 2024 | 4:30 PM IST
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बायोगैस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें अतिरिक्त वित्तीय सहायता, वित्त तक आसान पहुंच और स्थानीय समर्थन जैसे उपाय कर सकती हैं। भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने यह सुझाव देते हुए कहा कि इससे राज्यों को विभिन्न तरीकों से 50,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है।

आईबीए के चेयरमैन गौरव केडिया ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘राज्य अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन, ऋण तक आसान पहुंच और स्थानीय समर्थन देकर इस क्षेत्र के लिए केंद्रीय पहल को बढ़ावा दे सकते हैं।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सरकारों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बायोगैस क्षेत्र के जरिये 50,000 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकती हैं।

केडिया के मुताबिक, यह बचत अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण में कमी, बायोगैस उत्पादन और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के रूप में हो सकती है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार का उदाहरण दिया, जो बायोगैस परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार की सब्सिडी के अलावा प्रति टन उत्पादन क्षमता के लिए 75 लाख रुपये (20 करोड़ रुपये तक) की अतिरिक्त राशि देती है। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयासों से इस क्षेत्र के विकास में तेजी आ सकती है और बायोगैस प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिल सकता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य बायोगैस संयंत्रों के आसपास बुनियादी ढांचे में सुधार करके इस क्षेत्र को और आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण लगभग 50 प्रतिशत संयंत्रों में देरी हो रही है। उन्होंने बायोगैस संयंत्रों को चलाने के लिए कच्चे माल की उपलब्धता पर भी जोर दिया

First Published - September 22, 2024 | 4:30 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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