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कम नहीं हो रही माधबी पुरी बुच की मुश्किलें! स्पेशल कोर्ट ने दिए FIR के आदेश, क्या है पूर्व SEBI प्रमुख पर आरोप?

कोर्ट का आदेश ऐसे समय में आया जब बुच ने शुक्रवार को SEBI प्रमुख के रूप में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया। उनकी जगह तुहिन कांता पांडेय को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

Last Updated- March 02, 2025 | 5:18 PM IST
Madhabi Puri Buch
SEBI की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच

मुंबई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों को लेकर FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी PTI ने दी। यह आदेश न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव ने एक स्थानीय पत्रकार द्वारा दायर याचिका पर दिया है, जिसमें बुच और अन्य के खिलाफ कथित वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई थी।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “नियामक चूक और मिलीभगत के प्रारंभिक साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे इसकी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जरूरत है।” न्यायाधीश एकनाथराव ने यह भी माना कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और SEBI द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो गया है। यह CrPC के प्रावधानों के तहत दिया गया। अदालत का आदेश ऐसे समय में आया जब बुच ने शुक्रवार को SEBI प्रमुख के रूप में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया। उनकी जगह तुहिन कांता पांडेय को SEBI का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

माधबी बुच पर क्या आरोप हैं?

शिकायतकर्ता के अनुसार, SEBI अधिकारियों ने एक ऐसी कंपनी को लिस्ट करने की इजाजत दी, जो नियामक मानकों को पूरा करने में विफल रही। इससे बाजार में हेरफेर हुआ और निवेशकों को नुकसान हुआ। इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया कि SEBI और कॉर्पोरेट संस्थाओं के बीच मिलीभगत थी, जिसके कारण इनसाइडर ट्रेडिंग हुआ और लिस्टिंग के बाद पैसे का गबन किया गया।

शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई बार पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अदालत ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और साथ ही 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी है।

हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप

बंद हो चुकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले साल अगस्त में दावा किया था कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच की अदाणी समूह से जुड़े ऑफशोर (विदेशी) निवेश थे, जिनका खुलासा नहीं किया गया था।

हिंडनबर्ग के अनुसार, बुच दंपत्ति के पास बरमूडा और मॉरीशस स्थित उन फंड्स में हिस्सेदारी थी, जो कथित तौर पर गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी से जुड़े थे। यह निवेश बुच के SEBI अध्यक्ष बनने से पहले किए गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी नियामक भूमिका के दौरान इनका खुलासा नहीं किया, जिससे अदाणी समूह की जांच में संभावित हितों के टकराव को लेकर चिंता बढ़ गई।

हिंडनबर्ग ने यह भी बताया कि SEBI प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के दौरान माधबी बुच की एक सिंगापुर स्थित कंस्टल्टिंग फर्म “अगोरा पार्टनर्स” थी, जिसे बाद में उन्होंने अपने पति को ट्रांसफर कर दिया। इस फर्म ने सार्वजनिक रूप से अपने वित्तीय रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया, जिससे उनकी वित्तीय लेन-देन की पारदर्शिता पर सवाल उठे। इन आरोपों के जवाब में, माधबी बुच और उनके पति ने इन्हें पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि उनकी वित्तीय जानकारी पूरी तरह पारदर्शी और सभी नियमों के हिसाब से है।

First Published - March 2, 2025 | 4:50 PM IST

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