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महाराष्ट्र में बारिश से फसलों को भारी नुकसान, पर सरकार ने घटाया मुआवजा; किसानों में नाराजगी

1 जनवरी 2024 के सरकारी फैसले के अनुसार दिए गए निर्देशों को समाप्त कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है।

Last Updated- June 03, 2025 | 8:04 PM IST
Maharashtra crop damage news
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

राज्य के विभिन्न इलाकों में हाल ही में हुई बारिश के कारण फसलों भारी नुकसान हुआ है। बारिश के कारण हुए नुकसान की समीक्षा बैठक में कटी हुई फसलों से नुकसान उठाने वाले किसानों को मुआवजा देने पर विचार करने को कहा गया है। हालांकि, इस बैठक में स्पष्ट कर दिया गया कि मुआवजा दरें और मानदंड 27 मार्च 2023 के सरकारी फैसले के अनुसार ही रहेंगे।

1 जनवरी 2024 के सरकारी फैसले के अनुसार दिए गए निर्देशों को समाप्त कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में फसल नुकसान के लिए दी जाने वाली मुआवजे की नीति में बड़ा बदलाव किया है। अब किसानों को अधिकतम दो हेक्टेयर तक ही फसल नुकसान पर आर्थिक सहायता दी जाएगी, जबकि पहले यह सीमा तीन हेक्टेयर तक थी । इस फैसले का असर राज्य के उन हजारों किसानों पर पड़ेगा जिनकी जमीन दो हेक्टेयर से अधिक है।

साल 2024 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नुकसान भरपाई की सीमा तीन हेक्टेयर तक बढ़ा दी थी। लेकिन अब सरकार ने उस फैसले को रद्द करते हुए 27 मार्च 2023 के पुराने नियमों को फिर से लागू कर दिया है, जिसके तहत केवल दो हेक्टेयर तक की ही मदद दी जाएगी। राहत एवं पुनर्वास विभाग की प्रधान सचिव सोनिया सेठी ने राज्य में भारी बारिश से हुए नुकसान और प्रदान की गई राहत पर कहा कि 27 मई को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ढहे हुए घरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए तत्काल सहायता के लिए निधि उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया था। इसके अनुसार 49 करोड़ रुपये की निधि वितरित की गई है। कोंकण विभाग को पांच करोड़, पुणे विभाग को 12 करोड़, नाशिक विभाग को पांच करोड़, छत्रपति संभाजीनगर विभाग को 12 करोड़, अमरावती विभाग को पांच करोड़ और नागपुर विभाग को दस करोड़; कुल 49 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

सेठी ने बताया कि खरीफ 2025 और उसके बाद के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के कारण कृषि फसलों के नुकसान के लिए भुगतान की जाने वाली मुआवजा दरें और मानदंड 27 मार्च 2023 के सरकारी फैसले के अनुसार ही रहेंगे।

Also Read: महाराष्ट्र में भारी बारिश से प्याज की फसल बर्बाद, ₹1 लाख प्रति एकड़ मुआवजे की मांग

तदनुसार, 1 जनवरी 2024 के सरकारी फैसले के अनुसार दिए गए निर्देशों को समाप्त कर दिया गया है। राजस्व विभाग द्वारा जारी जी.आर. के अनुसार, राज्य सरकार ने मुआवजे का दावा करने के लिए भूमि की कुल पात्र सीमा को 3 हेक्टेयर (7.5 एकड़) से घटाकर 2 हेक्टेयर (5 एकड़) कर दिया है तथा गैर सिंचित भूमि, सिंचित भूमि और फलों जैसी नकदी फसलों पर प्रति हेक्टेयर मुआवजे की दर भी कम कर दी है। 1 जनवरी, 2024 को जारी आदेश के अनुसार, मुआवज़े के लिए पात्र भूमि क्षेत्र को 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 3 हेक्टेयर कर दिया गया था। इसमें किसानों को गैर-सिंचित फसलों के लिए 8,500 रुपये से बढ़कर 13,600 रुपये प्रति हेक्टेयर की गई थी। सिंचित भूमि पर फसलों के लिए यह दर मौजूदा 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 27,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई थी । नकदी फसलों और फलों के लिए, मुआवजे की दर 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 36,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया था ।राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की शुरुआत में राज्य में बारिश से हुए नुकसान की समीक्षा की गई।

उस समय विभिन्न मंत्रियों ने कटी हुई फसलों के नुकसान का मुद्दा उठाया। इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस तरह से नुकसान उठाने वाले किसानों को मुआवजा देने पर विचार किया जाएगा। बैठक में बारिश के कारण सूखी मछलियों को नुकसान हुआ है। मछुआरों के लिए मुआवजे की मांग की। क्षतिग्रस्त हुए छोटे पुल और सड़कों की मरम्मत की मांग की गई । जिस पर मुख्यमंत्री ने राहत और पुनर्वास विभाग को प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा।

First Published - June 3, 2025 | 7:49 PM IST

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