facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Maharashtra: शिंदे गुट ही असली Shiv Sena, उद्धव गुट को बड़ा झटका

अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख को किसी भी पार्टी नेता को बर्खास्त करने का कोई अधिकार नहीं है। शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।

Last Updated- January 10, 2024 | 9:06 PM IST
Shivsena Foundation Day Celebration

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायकों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत हुई लंबी सुनवाई के बाद बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला सुना दिया। फैसले से उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है। अपने फैसले में अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख को किसी भी पार्टी नेता को बर्खास्त करने का कोई अधिकार नहीं है। शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।

16 बागी विधायकों के अयोग्यता पर फैसले में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया है। अपने फैसले में उन्होंने शिवसेना प्रमुख के अधिकार पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि शिवसेना के संविधान के मुताबिक 2018 का नेतृत्व मान्य नहीं है।

शिवसेना की 1999 के संविधान के मुताबिक असली शिवसेना का फैसला किया गया,जिसके हिसाब से पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सर्वोपरि है। शिवसेना प्रमुख को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ही पावर मिलती है। उद्धव का नेतृत्व पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं है। यूबीटी गुट के दलील में दम नहीं है। एकनाथ शिंदे को पार्टी विधायक दल के नेता के पद से हटाने का हक उद्धव ठाकरे के पास नहीं था।

एकनाथ शिंदे नीत गुट ही असली शिवसेना, जब जून 2022 को प्रतिद्वंद्वी समूह अस्तित्व में आया। शिवसेना प्रमुख के पास किसी भी नेता को पार्टी से निकालने की शक्ति नहीं है। 1999 का संविधान वह है जो प्रतिद्वंद्वी समूहों की उत्पत्ति से पहले शिवसेना द्वारा निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत किया गया था । शिवसेना का संविधान नेतृत्व संरचना की सीमा की पहचान को लेकर प्रासंगिक है।

शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती है। चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त शिव सेना का संविधान वास्तविक संविधान है, जिसे शिवसेना का संविधान कहा जाएगा ।

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे अकेले निर्णय नहीं ले सकते थे। विधायक दल के नेता पद से एकनाथ शिंदे को हटाना गलत था। संविधान के मुताबिक भी वह नहीं हटा सकते थे। नार्वेकर ने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई गई थी। शिंदे को हटाने का फैसला कार्यकारिणी ही हटा सकती है।

अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना (UBT) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे। निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर फैसला करने के लिए वैध संविधान था। इस संविधान के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी सर्वोच्च निकाय है।

नार्वेकर ने कहा कि सबसे अहम मुद्दा यह है कि असली शिवसेना कौन है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में ही शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। शिवसेना (उद्धव गुट) ने पार्टी का संविधान पेश नहीं किया है। 21 जून 2022 को जो हुआ, उसे समझना होगा। शिवसेना के दोनों गुट असली होने का दावा कर रहे हैं।

चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में दिए गए शिवसेना का नेतृत्व स्ट्रक्चर के आधार पर फैसला लिया गया। 2013 के बाद से शिवसेना का चुनाव नहीं हुए, इसलिए 1999 के संविधान को मान्य किया गया। 2018 का संविधान संशोधन मान्य नहीं है। मेरा अधिकार क्षेत्र सीमित है, चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता है।

राहुल नार्वेकर को आज जिन 16 विधायकों के आयोग्ता पर फैसले सुनाना था उनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, संजय सिरसाट,यामिनी जाधव, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, गोगावाले, अनिल बाबरी, संजय रायमुनकरी, चिमनराव पाटिल, तानाजी सावंत, रमेश बोनारे, लता सोनवणे, प्रकाश सर्वे,बालाजी कल्याणकारी, बालाजी किनीकारो, संदीपन भुमरे के नाम शामिल थे। फैसले के बाद साफ हो गया है कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेगे।

उद्धव गुट सहित दूसरे विपक्षी दलों ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया। उद्धव गुट का कहना है कि यह फैसला दिल्ली में लिखा गया था जिसके हमें पहले से ही अंदेशा था इसीलिए हमने फैसले के पहले ही अदातल में याचिका दायर की है। एनसीपी नेता जितेन्द्र आव्हण ने कहा कि ये तो होना ही था। न्याय की उम्मीद पहले से ही नहीं थी। विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई । हंगामे की आशंका के मद्देनजर फैसले से पहले ठाणे समेत पूरे प्रदेश में अलर्ट किया गया।

 

First Published - January 10, 2024 | 9:06 PM IST

संबंधित पोस्ट