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मुंबई को हर समय रोशन रखेगा पडघा- खारघर ऊर्जा गलियारा

एमएमआर में बिजली की डिमांड बढ़ गई और जिन ट्रांसमिशन लाइनों से बाहर से बिजली आती हैं, उन पर लोड बढ़ गया। इसके कारण पावर फैल्योर हो गया।

Last Updated- August 23, 2024 | 8:43 PM IST
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मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर) की बढ़ती जनसंख्या और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास के कारण साल दर साल बिजली की मांग बढ़ी है। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पडघा-खारघर ऊर्जा गलियारा तैयार हो चुका है। करीब 90 किलोमीटर लंबे पडघा-खारघर ऊर्जा गलियारे पर एक नई ट्रांसमिशन लाइन पूरी तरह से तैयार हो चुकी है जिससे 2000 मेगावाट से अधिक की बिजली आपूर्ति की जाएगी। इस ऊर्जा गलियारे की शुरुआत इसी महीने में होने वाली है।’

देश की आर्थिक राजधानी होने के कारण मुंबई में बिजली की कटौती लगभग न के बराबर होती है। पिछले कुछ दशकों में एमएमआर का विस्तार होने के कारण बिजली की खपत में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जिसके कारण कई बार बिजली आपूर्ति करने वाला ग्रिड फेल हो चुका है। 12 अक्टूबर 2020 के दिन मुंबई के कई हिस्सों में अचानक कुछ घंटों तक बिजली गुल हो गई थी। ऐसा संकट दोबारा 22 फरवरी 2022 को हुआ था।

एमएमआर में बिजली की डिमांड बढ़ गई और जिन ट्रांसमिशन लाइनों से बाहर से बिजली आती हैं, उन पर लोड बढ़ गया। इसके कारण पावर फैल्योर हो गया। शहर को रातभर रोशन करने के लिए गुजरात, राजस्थान और आसपास के राज्यों से बिजली लेनी पड़ती है।

दरअसल अभी पडघे-कलवा लाइन एमएमआर को बिजली पहुंचाने वाला एकमात्र ऊर्जा गलियारा है। पडघा -खारघर ऊर्जा गलियारे के चालू होने से इसकी निर्भरता कम होगी। नई लाइन के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली बिजली गुजरात से प्राप्त की गई है, जिससे बार-बार होने वाली बिजली कटौती और ग्रिड में व्यवधान की समस्या से निजात मिलेगी।

महाराष्ट्र बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पडघा -खारखार लाइन से बढ़ती मांग को पूरा करना आसान हो जाएगा। इस बार गर्मी में मुंबई की बिजली की मांग 4300 मेगावाट को पार कर गई। 400 केवी पडघा-खारघर लाइन महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्वीकृत 81137 करोड़ रुपये लागत की परियोजना है। इसकी कुल लंबाई 90 किलोमीटर है। जो 30 किलोमीटर वन भूमि और 20 किलोमीटर पहाड़ी इलाके से होकर गुजरती है। इसके निर्माण के लिए, मुंबई ऊर्जा मार्ग ट्रांसमिशन (एमयूएमटी) के कार्यान्वयन अधिकारियों ने पहली बार हेलीकॉप्टरों के माध्यम से लोगों, मशीनों और धातु को पहुँचाया।

एमयूएमटी के एक अधिकारी ने बताया कि अच्छे मौसम के दौरान, हम पहाड़ी के शीर्ष पर निर्माण स्थल पर सामग्री, सीमेंट, धातु और लोगों को ले जाने के लिए 50 (हेलीकॉप्टर) उड़ानें भरने में सक्षम थे। इससे न केवल समय की बचत हुई, बल्कि अधिक पेड़ों को काटने से भी रोका गया और इस प्रकार, यह पर्यावरण के अनुकूल विचार साबित हुआ।

पनवेल, नवी मुंबई, ठाणे, अंबरनाथ और भिवंडी सहित अन्य क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइन के रास्ते में आने वाले लगभग 20,000 पेड़ों को या तो काट दिया गया या उनकी छंटाई कर दी गई। एमयूएमटी ने वन भूमि के अंतर्गत आने वाले वृक्षों के लिए सरकार को मुआवजा शुल्क का भुगतान किया। टावरों और बिजली लाइनों के लिए रास्ते के अधिकार के लिए अपनी जमीन देने वाले लगभग 10,728 किसानों को भी 400 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया गया।

इस परियोजना को 2020 में महामारी के दौरान मंजूरी मिली। जनवरी 2023 में ही काम में तेजी आई और 16 महीने के भीतर इसे पूरा कर लिया गया। परियोजना की शुरुआती लागत 900 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1,140 करोड़ कर दिया गया। गर्मियों के दौरान एमएमआर में बिजली की अधिकतम मांग 4,500 मेगावाट थी।

इसमें तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि राज्य सरकार ने पहले ही 323 वर्ग किलोमीटर में फैले न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी को मंजूरी दे दी है। प्रस्तावित डेटा सेंटर, नवी मुंबई हवाई अड्डा प्रभाव अधिसूचित क्षेत्र या नैना,नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और मेट्रो रेल गलियारे भी एमएमआर में बिजली की मांग को बढ़ावा देंगे ।

First Published - August 23, 2024 | 8:12 PM IST

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