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केरल पहुंचा मॉनसून, हालात बारिश के लिए अनुकूल

Last Updated- June 08, 2023 | 11:50 PM IST
Monsoon

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अपने सामान्य समय से एक हफ्ते बाद आज भारत पहुंच गया। मौसम विभाग ने मॉनसून के केरल आने की घोषणा कर दी है। आम तौर पर मॉनसून 1 जून को केरल पहुंच जाता है।

खबरों के अनुसार, इस साल मॉनसून पिछले सात साल में सबसे देरी से केरल पहुंचा है। हालांकि मॉनसून के आगमन में देरी इस बात का संकेत नहीं है कि आने वाले महीनों में बारिश होगी। इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के पहले आठ दिनों में देश भर में कुल बारिश सामान्य से करीब 60 फीसदी कम हुई। मॉनसून में देरी से धान, तिलहन और दलहन जैसी प्रमुख खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हो सकती है।

मौसम विभाग ने अपने बयान में कहा, ‘दक्षिण-पश्चिम मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों, मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, पूरे लक्षद्वीप, केरल के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के बाकी हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम, मध्य एवं उत्तर-पूर्व में कुछ और हिस्सों में आज पहुंच गया।’

पिछले 24 घंटों के दौरान दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बादल गहरे हुए हैं और केरल में कई हिस्सों में बारिश हुई है। मौसम विभाग ने कहा, ‘ये सभी स्थितियां बताती हैं कि आज यानी 8 जून को दक्षिण पश्चिम मॉनसून केरल पहुंच गया है।’

स्थितियां बताती हैं कि मॉनसून अगले 48 घंटों में मध्य अरब सागर के कुछ और हिस्सों, केरल के बाकी हिस्सों, तमिलनाडु के कुछ और भागों, कर्नाटक के कुछ हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम, मध्य एवं उत्तर-पूर्व में कुछ और क्षेत्रों में तथा पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में पहुंच जाएगा।

केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर 1 जून को अथवा उसके सात दिन पहले या बाद में पहुंचता है। विभाग ने मई के मध्य में कहा था कि मॉनसून 4 जून तक केरल पहुंच सकता है।

पिछले साल द​क्षिण-प​श्चिम मॉनसून 29 मई को ही केरल पहुंच गया था। 2021 में उसने 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल में दस्तक दी थी।

मौसम विभाग ने पहले कहा था कि अल नीनो प्रभाव के बावजूद देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। इसी प्रकार पश्चिमोत्तर भारत में सामान्य अथवा सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है। पूर्वी, पूर्वोत्तर एवं मध्य भारत तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में दीर्घावधि औसत (87 सेंटीमीटर बारिश) की 94 से 106 फीसदी बारिश के साथ मॉनसून के सामान्य रहने के आसार हैं।

देश में पिछले 50 साल में औसतन 87 सेंटीमीटर बारिश हुई है, जिसे दीर्घावधि औसत (एलपीए) कहा जाता है। विभाग के अनुसार इसकी 96 से 104 फीसदी बारिश सामान्य मानी जाती है।

एलपीए के 90 फीसदी से कम बारिश को कमी, 90 से 95 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से कम, 105 से 110 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से अधिक और 100 फीसदी से अधिक बारिश को अत्य​धिक माना जाता है।

मॉनसून भारत में कृषि के लिए बहुत जरूरी है। देश में 52 फीसदी कृ​षि क्षेत्र मॉनसून की बारिश पर निर्भर है। इसके अलावा बिजली उत्पादन और पेयजल के लिए जलाशय भरने में भी मॉनसून की अहम भूमिका है।

देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में वर्षा पर निर्भर कृषि का योगदान करीब 40 फीसदी है। इस लिहाज से यह देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में भी अहम योगदान करता है।

First Published - June 8, 2023 | 8:19 PM IST

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