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माल ढुलाई में छूट रही PPP की रेल, 12,000 करोड़ रुपये की योजना छोड़ सकता है रेलवे

Last Updated- April 23, 2023 | 11:19 PM IST
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सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी (PPP) की एक और परियोजना डूबती नजर आ रही है। रेलवे को डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 12,000 करोड़ रुपये के एक महत्त्वपूर्ण खंड को अपने पैसे से बनवाना पड़ सकता है। रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।

डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन (डीएफसीसी) के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘एक रेलवे संगठन के माध्यम से ही सोननगर और न्यू अंडाल के बीच 371 किलोमीटर खंड के निर्माण के लिए रेलवे बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा गया था।’ बिहार के सोननगर और पश्चिम बंगाल के दानकुनी के बीच 538 किलोमीटर के खंड को रेल परिचालन के मुद्रीकरण में रेलवे के ट्रंप कार्ड के रूप में पेश किया गया था। ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के इस खंड में निजी क्षेत्र को लाभ में हिस्सेदारी लेने की अनुमति दी गई थी।

इस अखबार को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि कई दौर की असफल वार्ता के बाद मंत्रालय ने इस परियोजना का 75 प्रतिशत इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) मॉडल पर कर दिया है।

पीपीपी मॉडल बनाने वाले प्रमुख अधिकारियों में शामिल रहे रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हाइब्रिड डिजाइन बिल्ड फाइनैंस ऑपरेट ट्रांसफर (डीबीएफओटी) इस खंड के लिए डिजाइन किया गया परियोजना विशेष के लिए मॉडल था। बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए निजी कारोबारी को लाने की योजना थी। माल ढुलाई की मात्रा में उतार चढ़ाव से कंसेसनायर को बचाने की व्यवस्था की गई थी और उपलब्धता शुल्क का प्रावधान किया गया था।’

निजी कारोबारी को 20 घंटे इस कॉरिडोर को मुहैया कराने के एवज में एक नियत राशि दी जानी थी, प्रतिदिन चाहे जितनी रेल इस मार्ग पर चलें। इसमें उतार चढ़ाव के लिए अलग प्रावधान था। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ निजी कंपनियों ने रुचि दिखाई थी।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे थे कि संशोधित ढांचे से निजी कारोबारी आएंगे। बहरहाल कई महीने के बाद अभी भी डीबीएफओटी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलनी है। यह एक महत्त्वपूर्ण खंड है, जिसके विभिन्न बिंदुओं से कोयला और स्टील जैसे आवश्यक जिंसों की ढुलाई होनी है। हम इसे तेजी से पूरा करना चाहते हैं और पीपीपी योजना इसके खिलाफ जा सकती है।’

उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘परियोजना की लागत अब 12,000 करोड़ रुपये के करीब है। हम अब अपने संसाधनों से काम शुरू करने की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, जैसा शेष गलियारे में हुआ है।’

रेल मंत्रालय ने बिजनेस स्टैंडर्ड की ओर से मांगी गई जानकारी को डीएफसीसी के पास भेज दिया है। खबर छपने तक डीएफसीसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इस परियोजना की परिकल्पना कई साल पहले की गई थी, लेकिन बहुत कम प्रगति हो पाई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में केंद्र की पीपीपी को लेकर महत्त्वाकांक्षाएं पेश की थी, लेकिन यह परियोजना अभी भी ठप पड़ी है।

First Published - April 23, 2023 | 10:20 PM IST

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