facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Same-Sex Marriage: समलैंगिक जोड़ों को समाजिक फायदे देने पर विचार करने के कमेटी बनाएगी सरकार

Last Updated- May 03, 2023 | 12:05 PM IST
same sex marriage

Same-sex marriage hearing today: सुप्रीम कोर्ट में सेम-सेक्स की शादी यानी समलैंगिक विवाह के मसले पर सुनवाई चल रही है। इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि वह सेम-सेक्‍स जोड़ो को सोशल बेनेफिट्स देने पर विचार के लिए एक समिति का गठन करने के लिए तैयार है।

ये कमेटी कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्‍यक्षता में बनेगी। इस कमेटी में इस बात पर विचार किया जाएगा कि अगर समलैंगिक जोड़ों के विवाह को कानूनी मान्यता न मिले तो उन्हें कौन-कौन से सामाजिक फायदे (Social Benefits) उपलब्‍ध कराए जा सकते हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में विभिन्‍न मंत्रालयों के बीच कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ेगी। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्‍यक्षता में समिति बनाई जाएगी और वह याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी।

बता दें, सेम-सेक्‍स मैरिज के मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से किया था सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या वह समलैंगिक जोड़ों को बिना शादी की मान्यता दिए, सोशल बेनिफिट देने के लिए तैयार हैं।

पिछली सुनवाई में जस्टिस एसके कौल ने कहा था कि 2018 में समलैंगिकता को अपराध की कैटिगरी से बाहर किया गया था। अब इस बारे में सोचा जाना जरूरी है कि जो रोजाना की जिंदगी में इन जोड़ों के लिए क्या परेशानी आ सकती है और इसका क्या हल है। जैसे बैंक अकाउंट, गोद लेने की प्रक्रिया और अन्य मामले हैं। इन तमाम मसलों को सरकार को देखना चाहिए।

कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या समलैंगिक जोड़ों को उनकी शादी को वैध किए बिना सामाजिक कल्याण लाभ दिए जा सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि केंद्र द्वारा समलैंगिक यौन साझेदारों के सहवास के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार करने से उस पर इसके सामाजिक परिणामों को पहचानने का “संबंधित दायित्व” बनता है।

इस टिप्प्णी की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने केंद्र से उपरोक्त सवाल किया। शीर्ष अदालत ने कहा, “आप इसे शादी कहें या न कहें, लेकिन इसे कुछ नाम देना जरूरी है।”

First Published - May 3, 2023 | 11:53 AM IST

संबंधित पोस्ट