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चीन से खतरा देख सियांग घाटी में देश का सबसे बड़ा बांध तेजी से बना रहा भारत, प्रस्तावित परियोजना के तीन एजेंडे

अधिकारियों के अनुसार इस बांध की क्षमता 10-12 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) पनबिजली की होगी और यह भारत का सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना होगी। इस परियोजना की लागत 1 लाख करोड़ रुपये होगी।

Last Updated- October 20, 2024 | 9:47 PM IST
Seeing the threat from China, India is rapidly building the country's biggest dam in Siang Valley, three agendas of the proposed project चीन से खतरा देख सियांग घाटी में देश का सबसे बड़ा बांध तेजी से बना रहा भारत, प्रस्तावित परियोजना के तीन एजेंडे

अरुणाचल प्रदेश से सटे चीन के इलाके में चीन की बड़ी जल परियोजना के मद्देनजर केंद्र ने ऊपरी सियांग घाटी में विशालकाय बांध बनाने के काम को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू किया है। यह देश का सबसे बड़ा बांध होगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में सियांग ऊपरी घाटी बांध की शुरुआती परियोजना प्रबंधन के उद्देश्य से वित्तीय मदद देने की घोषणा की थी।

इस प्रस्तावित परियोजना के तीन एजेंडे हैं – बाढ़ प्रबंधन, जल प्रवाह को दुरुस्त करना और बिजली पैदा करना। सरकार की पनबिजली की प्रमुख कंपनी एनएचपीसी को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और परियोजना व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफपीआर) विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई है। अधिकारियों के अनुसार इस बांध की क्षमता 10-12 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) पनबिजली की होगी और यह भारत का सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना होगी। इस परियोजना की लागत 1 लाख करोड़ रुपये होगी।

एनएचपीसी के अधिकारियों ने बताया कि इस बारे में विभिन्न सरकारी मंत्रालयों जैसे ऊर्जा, जल शक्ति और अरुणाचल प्रदेश से विचार-विमर्श हुआ था। हाल में केंद्र के राशि जारी करने से इस परियोजना को गति मिली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल अगस्त में पूर्वोत्तर के राज्यों में 15 जीडब्ल्यू की पनबिजली परियोजना के लिए 4,136 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।

मंत्रिमंडल ने बीते महीने आगामी जल परियोजनाओं के लिए ‘सक्षम बुनियादी ढांचा’ और पंप्ड स्टोरेज परियोजना (पीएसपी) के लिए 12,461 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।

अधिकारियों ने संकेत दिया कि इन दो निगमों से कोष सियांग घाटी परियोजना के पीएफआर के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे और स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाएगा। एनएचपीसी के प्रवक्ता को ईमेल प्रश्नावली भेजी गई थी लेकिन खबर लिखे जाने तक उसका जवाब नहीं मिला था।

चीन जनवादी गणराज्य ने 2021 में यारलुंग त्संगपो में 60 गीगावॉट की मोटोंग जल परियोजना स्टेशन को मंजूरी दी थी और यह क्षेत्र तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में आता है। यारलुंग नदी भारत में ब्रह्मपुत्र (अरुणाचल के सियांग) में आकर मिलती है।

एनएचपीसी और राज्य सरकार के शुरुआती अध्ययन के मुताबिक चीन की इस परियोजना के कारण भारत में जल का प्रवाह 80 प्रतिशत तक घट सकता है। अधिकारियों ने हालिया प्रस्तुतियों में संकेत दिया कि इसे चीन ‘पानी के बम’ की तरह इस्तेमाल कर सकता है और इस बांध से पानी छोड़ने पर भारतीय क्षेत्र में बाढ़ भी आ सकती है।

चीन में बांधों से जल रिसाव होने के कारण बीते समय में कम से कम तीन बार सियांग नदी में बाढ़ आई थी और टकराव का कारण बना था। एनएचपीसी की हालिया प्रस्तुति के अनुसार, ‘चीन की परियोजना 40 अरब घन मीटर (आरसीएम) का प्रवाह बदल सकती है। सियांग ऊपरी परियोजना की सालाना यील्ड करीब 112बीसीएम है।

ऊपरी सियांग परियोजना के बिना मौसम में प्रवाह कम होने की स्थिति में पासीघाट में प्रवाह करीब 60 प्रतिशत और पांडु (गुवाहाटी) में करीब 25 प्रतिशत कम हो सकता है।’ इस प्रस्तावित परियोजना से पानी कम उपलब्ध होने के मौसम में पड़ने वाले खराब प्रभाव पर कम प्रभाव पड़ेगा। अधिकारियों के अनुसार, ‘इस परियोजना का उद्देश्य बाढ़ के प्रभाव को कम और क्षेत्र में जल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। बिजली की बढ़ती मांग के कारण पनबिजली को बनाना जरूरी होगा।’

इस परियोजना से बनाई जाने वाली करीब 12 प्रतिशत पनबिजली अरुणाचल प्रदेश राज्य को नि:शुल्क मुहैया कराई जाएगी। इस परियोजना की सबसे पहले परिकल्पना जल शक्ति मंत्रालय ने 2018 में सिंचाई कम जल परियोजना के लिए बनाई थी।

अधिकारियों के अनुसार धन की कमी और राज्य सरकार के कम मदद करने के कारण स्थानीय लोगों का विरोध बढ़ गया है और इसके कारण शून्य प्रगति हुई। कुछ अधिकारियों ने चेताया कि स्थानीय लोगों को नौकरियों और कृषि योग्य भूमि विशेष तौर पर चावल की खेती कम होने की आशंका के कारण स्थानीय आबादी का पुनर्वास मुख्य चुनौती होगी। सियांग नदी पर 3 गीगावॉट की दिबांग घाटी को इन चिंताओँ के कारण कई वर्षों तक चिंताओँ का सामना करना पड़ा है।

First Published - October 20, 2024 | 9:47 PM IST

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