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ISS से शुभांशु शुक्ला की धरती पर सफल वापसी, अंतरिक्ष में 18 दिन और 1.3 करोड़ किमी का सफर किया तय

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से लौटे और उन्होंने आईएसएस में भारत के सात वैज्ञानिक प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम देकर गगनयान मिशन की नींव को मजबूत किया।

Last Updated- July 15, 2025 | 11:00 PM IST
Shubhanshu Shukla
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वापसी के बाद

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर करीब 18 दिन रहने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और ‘ऐक्सीअम-4 मिशन’ के उनके तीन अन्य साथी मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आए। करीब 18 दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने पृथ्वी के 310 से ज्यादा चक्कर लगाए और करीब 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की। अंतरिक्ष यान स्पेसएक्स ड्रैगन की मंगलवार दोपहर 3.02 बजे दक्षिणी कैलिफोर्निया में सैन डिएगो  के नजदीक समुद्र में पैराशूट के जरिये लैंडिंग कराई गई।  

यह अभियान भारत के लिए ऐतिहासिक रहा, क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बने और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय। राकेश शर्मा अप्रैल 1983 में अंतरिक्ष गए थे। 25 जून को चार अंतरिक्ष यात्रियों के साथ फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से फॉल्कन 9 द्वारा ड्रैगन को अंतरिक्ष में भेजा गया था। इस अभियान को भारत की गगनयान योजना के तहत 2027 में होने वाले पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की शुरुआती सफलता के तौर पर भी देखा जा रहा था। इसके अलावा भारत की साल 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चांद पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की महत्त्वाकांक्षी योजना है। अभियान के दौरान शुक्ला ने कहा था, ‘अंतरिक्ष से आज का भारत काफी महत्त्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वास और गर्व से भरा नजर आता है। भारत आज भी ऊपर से सारे जहां से अच्छा दिखता है।’

शुक्ला का अंतरिक्ष यान सोमवार की शाम करीब 4.50 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हो गया था और इसे वापसी की यात्रा में करीब साढ़े बाइस घंटे का वक्त लगा। प्रशांत महासागर पर सुरक्षित उतरने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को लाने के लिए नावें तैयार थीं। ऐक्सीअम-4 का चालक दल शाम करीब 4 बजे यान से बाहर निकला, जिसके बाद उनकी कई तरह की चिकित्सीय जांच की गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मैं राष्ट्र के साथ मिलकर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए हैं। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले पहले भारतीय हैं और उन्होंने समर्पण, साहस और अन्वेषण भावना से अरबों लोगों को प्रेरित किया है।’ मोदी ने कहा कि यह भारत के अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है। बताया जा रहा है कि भारत ने इस मिशन के लिए करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

अंतरिक्ष में 18 दिनों के प्रवास के दौरान चालक दल के सदस्यों ने करीब 60 प्रयोग किए, जिनमें से सात भारतीय संस्थानों और शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए थे। ऐक्सीअम-4 साल 2020 से अब तक स्पेसएक्स का 18वां चालक दल वाला अंतरिक्ष उड़ान अ​भियान था। ऐक्सीअम एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने की भी प्रक्रिया में है। शुक्ला 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए और उनके पास सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 सहित विभिन्न विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है। 

शुभांशु ने किए 7 वैज्ञानिक प्रयोग

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जाने वाले पहले और 41 वर्षों बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने न केवल देश के महत्त्वाकांक्षी गगनयान मिशन की नींव रखी, बल्कि उन्होंने अंतरिक्ष में कई वैज्ञानिक प्रयोग भी किए।

आईएसएस में ऐक्सीअम-4 क्रू ने कुल 60 प्रयोग किए, जिनमें सात भारतीय शोधकर्ताओं ने तैयार किए थे। इन शोधों का मूल लक्ष्य यह देखना था कि अंतरिक्ष में जीवन का क्या होता है। ऐक्सीअम-4 मिशन 25 जून को फ्लोरिडा में नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक रवाना हुआ था। यह 26 जून को जाकर आईएसएस के साथ जुड़ गया था। दो दिन तक बहुत कम गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) वाले माहौल से तालमेल बिठाने के बाद 29 जून से शुभांशु ने वैज्ञानिक प्रयोग शुरू किए थे। उन्होंने आईएसएस में समय बिताते हुए सात प्रयोग किए –

  1. शुभांशु के प्रमुख प्रयोगों में एक अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी रखना था। उन्होंने इन एल्गी (शैवाल) के नमूनों से भरा थैला रखा और उनकी प्रजातियों के उपसमूहों की तस्वीरें भी लीं। ये नन्ही सी एल्गी आगे चलकर अंतरिक्ष को खंगालने में बड़ी भूमिका निभा सकती है क्योंकि लंबे अरसे के लिए गए मिशन को ये पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का स्थायी स्रोत उपलब्ध करा सकता है। 2. अंतरिक्ष स्टेशन के भीतर सलाद के बीजों को अंकुरित करने का प्रयोग भी किया गया, जिसे कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, धारवाड़ ने तैयार किया था।
  2. यूटार्डिग्रेड पैरामैक्रोबायोटस की जीवन क्षमता, पुनर्जीविता, प्रजनन और ट्रांसक्रिप्टोम का आकलन करने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलूरु के प्रयोग को भी वहां आजमाया गया। वॉयेजर टार्डिग्रेड्स के इस प्रयोग में देखा गया कि सूक्ष्मदर्शी जीव अंतरिक्ष में कैसे जीवित रहते और प्रजनन करते हैं।  
  3. शुभांशु ने मायोजेनेसिस प्रयोग भी किया, जिसका मकसद यह पता लगाना था कि अंतरिक्ष में कंकाल की मांस पेशियों का क्षरण किस जैविक तरीके से होता है। 5. चयापचय में मदद करने वाले पदार्थों का सूक्ष्म गुरुत्व में मांसपेशियों के पुनर्विकास पर पड़ने वाला प्रभाव समझने के लिए भी एक प्रयोग किया गया। 6. सूक्ष्म गुरुत्व में आईआईएससी द्वारा विकसित इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले की मदद से मानव संपर्क का विश्लेषण किया गया। 7. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, अंतरिक्ष विभाग तथा केरल कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कृषि महाविद्यालय, वेल्लायनी द्वारा तैयार खाद्य फसल बीजों की वृद्धि और उपज पर परीक्षण भी अंतरिक्ष स्टेशन में किया गया।

First Published - July 15, 2025 | 10:51 PM IST

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