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लीलावती ट्रस्ट केस में फंसे HDFC बैंक प्रमुख शशिधर जगदीशन को SC से झटका, कोर्ट ने FIR रद्द करने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने HDFC बैंक के CEO सशिधर जगदीशन की FIR रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट में 14 जुलाई को होगी मामले की सुनवाई।

Last Updated- July 04, 2025 | 4:41 PM IST
Supreme Court
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को HDFC बैंक के CEO और MD शशिधर जगदीशन की उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और ठगी के FIR को रद्द करने की मांग की थी। यह FIR मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल को चलाने वाली लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की शिकायत पर दर्ज की गई थी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन शामिल की बेंच ने कहा कि यह मामला पहले से ही बॉम्बे हाई कोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्टेड है। 

कोर्ट ने कहा, “हम इस मामले को सुनने के मूड में नहीं हैं। हम इसकी मेरिट पर कोई विचार नहीं करेंगे। अगर 14 जुलाई को सुनवाई नहीं होती, तो आप वापस आ सकते हैं।” कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई कि बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले को तय तारीख पर सुनेगा। 

Also Read: HDFC Bank की ऋण वृद्धि रहेगी धीमी, CEO शशिधर जगदीशन ने कहा- तेज दर से सीडी अनुपात को लाएंगे नीचे

ट्रस्ट का गंभीर आरोप  

लीलावती ट्रस्ट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि सशिधर जगदीशन ने चेतन मेहता ग्रुप को ट्रस्ट के गवर्नेंस पर गैरकानूनी नियंत्रण बनाए रखने में मदद करने के लिए 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि जगदीशन ने एक प्रमुख निजी बैंक के प्रमुख के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर एक चैरिटेबल संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया। ट्रस्ट की शिकायत पर बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद बांद्रा पुलिस स्टेशन में जगदीशन के खिलाफ धोखाधड़ी और सार्वजनिक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात के आरोप में FIR दर्ज की गई थी। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175(3) के तहत दिया गया था। 

ट्रस्ट ने एक सार्वजनिक बयान में कहा कि यह 2.05 करोड़ रुपये की राशि ट्रस्ट को “लूटने” और इसके निर्णय लेने की प्रक्रिया को चेतन मेहता ग्रुप के पक्ष में प्रभावित करने की बड़ी साजिश का हिस्सा थी। ट्रस्ट ने इस मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। 

First Published - July 4, 2025 | 4:32 PM IST

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