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2046-47 तक देश में दोगुना हो जाएगा मिडिल क्लास का आकार

देश में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने से भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में हो जाएगा शामिल

Last Updated- July 05, 2023 | 11:32 PM IST
Shutterstock

भारत में अगले ढाई दशकों में मध्य वर्ग का आकार दोगुना हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अगर देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले ढाई दशकों के दौरान 6 से 7 प्रतिशत के बीच बनी रही तो देश में मध्य वर्ग का आकार 2020-21 के 31 प्रतिशत से बढ़कर 2046-47 में 61 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था एवं नागरिक हालात से संबद्ध गैर-लाभकारी संस्था ‘प्राइस’ की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

‘द राइज ऑफ इंडियाज मिड्ल क्लास’ शीर्षक नाम से प्रकाशित रिपोर्ट प्राइस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। प्राइस ने आईसीई के 360 के जरिये पूरे देश में सर्वेक्षण कर ये आंकड़े जुटाए हैं। यह नवीनतम रिपोर्ट देश के 25 राज्यों के 40,000 परिवारों की प्रतिक्रिया पर आधारित हैं।

वर्ष 2047 तक मध्यम वर्ग का आकार बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा

वर्ष 2047 तक भारत की अनुमानित कुल आबादी 1.66 अरब में मध्यम वर्ग का आकार बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा। वर्ष 2020-21 में तब देश की कुल आबादी में मध्य वर्ग का हिस्सा 43.2 करोड़ था।

हालांकि, इसे लेकर कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है कि कौन मध्य वर्ग में आते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्राइस ने 2020-21 की कीमतों के आधार पर सालाना 1.09 लाख से 6.46 लाख रुपये अर्जित करने वाले लोगों को भारतीय मध्य वर्ग के रूप में परिभाषित किया है। पारिवारिक आय के आधार पर यह आंकड़ा सालाना 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक माना गया है।

मध्य वर्ग पर पड़ने वाले असर पर रिपोर्ट में कहा गया है कि धनी लोगों में पूर्ण आय से अधिक रह सकती है मगर मध्य वर्ग की बढ़ती आबादी भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी देने वाला एक प्रमुख घटक बन जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार कुल क्रय शक्ति में बढ़ोतरी से भारत दुनिया का सबसे बड़े बाजारों में शुमार हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है, इस दशक के अंत तक देश की आबादी की संरचना बदल जाएगी। देश की आबादी की नई संरचना कुछ इस तरह होगी कि निम्न आय वर्ग मध्य वर्ग का हिस्सा बन जाएगा। इस तरह, एक ऐसा ढांचा खड़ा होगा जिसमें सबसे नीचे कमजोर आय वर्ग के लोग रहेंगे और बीच में मध्य वर्ग की भारी भरकम मौजूदगी होगी। सबसे ऊपर धनाढ्य लोगों का एक बड़ा समूह होगा।

सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 2016 से 2021 के बीच बढ़कर दोगुना हुई

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू दशक में 2030 तक भारत में धनाढ्य परिवारों का आकार पांच गुना बढ़ जाएगा और आर्थिक वृद्धि में देश के ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी भूमिका होगी। रिपोर्ट के अनुसार सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 2016 से 2021 के बीच बढ़कर दोगुना हो गई।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश के पश्चिमी हिस्से में धनाढ्य लोगों की संख्या सबसे अधिक (देश के उत्तरी राज्यों की 3.94 लाख की तुलना में 8.03 लाख) है। रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र इस मामले में शीर्ष (6.48 लाख धनाढ्य परिवार) पर है। इसके बाद दिल्ली (1.81 लाख), गुजरात (1.41 लाख), तमिलनाडु (1.37 लाख) और पंजाब (1.01 लाख) आते हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में देश के लगभग आधे धनाढ्य लोग रहते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार निम्न आय वर्ग वाले परिवारों और अधिक आर्थिक संसाधन वालों परिवारों में भारी अंतर है। रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में भारत में परिवारों की औसत आय 5.43 लाख रुपये थी। इसकी तुलना में अति पिछड़े एवं आर्थिक तरक्की की चाह रखने वाले लोगों की आय क्रमशः सातवां एवं आधा था। एक गरीब परिवार की आय की तुलना में मध्यम वर्ग और धनी परिवार क्रमशः 13 गुना और 50 गुना अधिक कमाते हैं।

First Published - July 5, 2023 | 11:32 PM IST

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