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बनारसी ठंडाई, लाल पेड़ा, भरवां लाल मिर्च से लेकर तिरंगा बर्फी तक, एक दिन में UP के 21 उत्पादों को मिला GI टैग

गौरतलब है कि 77 जीआई उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। इसमें भी अकेले 32 जीआई के साथ वाराणसी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब बन चुका है।

Last Updated- April 11, 2025 | 7:29 PM IST
Thandai
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Commons

बनारसी ठंडाई, लाल पेडा, तिरंगा बर्फी, तबले और भरवां लाल मिर्च के साथ ही उत्तर प्रदेश के 21 विशिष्ट उत्पादों को भौगोलिक संकेतांत (जीआई) टैग मिला है। शुक्रवार को वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के इन 21 खास उत्पादों के लिए जीआई टैग प्रमाण पत्र दिए। इसके बाद बनारसी तबला और भरवा मिर्च जैसे खास व्यंजन और कारीगरी अब वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ चमक बिखेरेंगे। गौरतलब है कि 77 जीआई उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। इसमें भी अकेले 32 जीआई के साथ वाराणसी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब बन चुका है।

अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी की दो विशिष्ट पहचानें बनारसी तबला और भरवां मिर्च अब जीआई  टैग प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उत्पाद बन गए हैं। संगीत प्रेमियों के लिए बनारसी तबला वर्षों से एक खास स्थान रखता है, वहीं बनारसी भरवा मिर्च अपने अनूठे स्वाद और पारंपरिक विधि के कारण हमेशा चर्चा में रहती है। वाराणसी के ही अन्य उत्पाद जैसे शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा को भी जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

पद्मश्री से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत के अनुसार ये सभी न केवल सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि इनसे जुड़े हज़ारों कारीगरों को अब वैश्विक बाजार में अपने हुनर को दिखाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि काशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब है। इस समय 32 जीआई टैग के साथ लगभग 20 लाख लोगों के जुड़ाव और 25500 करोड़ का इन उत्पादों का वार्षिक कारोबार अकेले काशी क्षेत्र से है।

जीआई टैग मिलने से बढ़ेगा ब्रांड वैल्यू

शुक्रवार को प्रधानमंत्री के हाथों जिन उत्पादों को जीआई प्रमाण पत्र मिला है उनमें बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी और टेराकोटा, मथुरा की सांझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड का काठिया गेहूं और पीलीभीत की बांसुरी भी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान हैं और अब जीआई टैग मिलने से इन्हें कानूनी संरक्षण और ब्रांड वैल्यू दोनों मिलेंगे। इसके साथ ही चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती को भी जीआई टैग का प्रमाण पत्र दिया गया है।

एमएसएमई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीआई टैग न केवल उत्पाद की मौलिकता को दर्शाता है, बल्कि इसके जरिए किसानों और कारीगरों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं। उनका कहना है कि योगी सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के चलते उत्तर प्रदेश जीआई  टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।

First Published - April 11, 2025 | 7:25 PM IST

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