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उत्तर प्रदेश के मध्यांचल में उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने संबंधी निविदा रद्द

Last Updated- February 05, 2023 | 7:27 PM IST
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उत्तर प्रदेश के मध्यांचल में उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने संबंधी निविदा को रद्द कर दिया गया है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने रविवार को अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए निविदा को रद्द कर दिया है। मध्यांचल में स्मार्ट मीटर के लिए मांगी गयी निविदा में सबसे कम बोली अडानी समूह की आयी थी और इसे काम मिलना तय माना जा रहा था।

रविवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर जिसमें अडानी न्यूनतम निविदादाता थे उसे रद्द कर दिया। अडानी ने प्रति स्मार्ट मीटर करीब 10000 रुपये की दर से निविदा डाली थी।

हालांकि केंद्रीय ऊर्जा विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर की अनुमानित लागत 6000 रुपये तय की गयी थी। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के टेंडर की लागत लगभग 5400 करोड़ रुपये थी। प्रदेश में मध्याचंल सहित दक्षिणांचल, पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट मीटर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मंगायी गयी थी। प्रदेश भर में करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड लगने थे जिनकी लागत 25000 करोड़ रुपये है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर निविदा में ऊंची दरों को विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। सभी वितरण निगमों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए अडानी, जीएमआर और इंटेली स्मार्ट ने निविदा में हिस्सा लिया था।

परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि लगभग सभी वितरण निगमों में अनुमानित लागत से 48 से 65 फीसदी ज्यादा दरों पर निविदा डाली गयी थीं। निविदा प्रक्रिया बीते साल नवंबर में पूरी कर ली गयी थी पर इस पर कोई अंतिम फैसला अब तक नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा कि मध्यांचल के बाद अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पूर्वांचल पश्चिमांचल दक्षिणांचल में भी निरस्त होने चाहिए।

वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी डाली थी और लगातार पावर कारपोरेशन प्रबंधन से इसे निरस्त करने की मांग कर रहा था।

परिषद ने प्रधानमंत्री व ऊर्जा मंत्री से इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग उठायी थी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर टेंडर की प्रक्रिया को इस तरह से संचालित किया जाए कि निर्माता कंपनियां भी इसमें भाग ले सकें। अभी जो प्रक्रिया अपनायी गयी है उसमें मीटर बनाने वाली कंपनियां निविदा में हिस्सा नहीं ले पायी हैं बल्कि बड़े निजी घरानों का ही हस्तक्षेप रहा है।

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में हुए टेंडर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें गुजरात में 15 से 20 प्रतिशत तक कम आई हैं। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश में पूर्व की निविदा को निरस्त कर नए सिरे से इसे करना चाहिए।

First Published - February 5, 2023 | 7:27 PM IST

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