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समुचित जांच-परख जरूरी

Last Updated- January 18, 2023 | 10:19 PM IST
Rupee
Shutter Stock

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक मशविरा पत्र जारी किया है जिसका शीर्षक है, ‘ब्लॉकिंग ऑफ फंड्स फॉर ट्रेडिंग इन सेकंडरी मार्केट’ अर्थात द्वितीयक बाजार में कारोबार के लिए फंड को रोकना। कुल मिलाकर यह कोशिश है ऐप्लीकेशन सपोर्टेड बाइ द ब्लॉक्ड अमाउंट (अस्बा) प्रणाली का विस्तार करने की। अस्बा प्राथमिक बाजार से द्वितीयक बाजार में काम करती है।

इसका लक्ष्य है ब्रोकर को अग्रिम फंड के स्थानांतरण की जरूरत को समाप्त करना और इस प्रकार ब्रोकर के डिफॉल्ट करने के कारण होने वाले नुकसान या दुरुपयोग की संभावना को समाप्त करना। प्राथमिक बाजार में अस्बा वर्षों से सहज ढंग से काम कर रहा है। जब निवेशक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए आवेदन करते हैं तो आवश्यक फंड पर एक धारणाधिकार (लीन) लगाया जाता है जो निवेशक के बैंक खाते में बना रहता है और ब्याज उत्पन्न करता है। अगर आवंटन होता है तो पैसे स्थानांतरित हो जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो उक्त धारणाधिकार हटा लिया जाता है।

द्वितीयक बाजार में निवेशक को शेयरों के रूप में जमानत की व्यवस्था करनी होती है या ब्रोकर को सौदे को क्रियान्वित करने के पहले अग्रिम फंड का भुगतान करना होता है। इसका परिणाम यह होता है कि ब्रोकरेज के रूप में काफी राशि का लेनदेन होता है। यह राशि रोजाना औसतन करीब 30,000 करोड़ रुपये है। ब्रोकर ब्याज का भुगतान कर सकता है लेकिन इस प्रक्रिया में निवेशक का पैसा भी जोखिम का शिकार होता है।

ब्रोकर के डिफॉल्ट कर जाने की स्थिति में ऐसा होता है। इस दौरान फंड और जमानत का ब्रोकर दुरुपयोग भी कर सकता है। नियामक मानता है कि वह यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई के लिए मल्टीपल डेबिट फैसिलिटी का इस्तेमाल करके एक नई अस्बा प्रणाली तैयार कर सकता है। इससे निवेशक फंड को ब्रोकर को अग्रिम तौर पर स्थानांतरित करने के बजाय अपने बैंक खाते में रख सकेंगे ताकि द्वितीयक बाजार में कारेाबार कर सकें। जब भी व्यापार होगा तो फंड को सीधे स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

सेबी का सुझाव है कि ब्रोकरेज और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को क्लीयरिंग कारपोरेशन द्वारा काटा जा सकता है और उसे ब्रोकरों को वापस दिया जा सकता है या सीधे निवेशकों द्वारा ब्रोकरों को चुकाया जा सकता है। जाहिर सी बात है यह निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इससे फंड की सुरक्षा मजबूत होगी। इससे ब्रोकरों द्वारा जोखिम लेने की संभावना भी कम होगी। वैसे हालात डिफॉल्ट की ओर ले जाते हैं। बहरहाल, इस प्रणाली को तैयार करते समय कई अन्य बातों पर विचार करना आवश्यक है।

जिन मामलों में ब्रोकरेज घराने बैंकों के अनुषंगी हैं वहां वे ऐसे खातों की पेशकश कर सकते हैं जहां जरूरत पड़ने पर वे फंड और डीमैट खाते तक पहुंच बना सकते हैं। केवल ब्रोकरेज का काम करने वाले संस्थान फिलहाल कम शुल्क लगाकर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, ज्यादा सलाहकार समर्थन की पेशकश कर रहे हैं और अधिक लचीला मार्जिन रख रहे हैं। ऐसे में यह कदम मामले को बैंकों के समर्थन वाले ब्रोकरेज घरानों की ओर मोड़ सकता है। खासकर अगर यह प्रणाली धीमी रहती है।

द्वितीयक बाजार के सौदों के लिए मामला और जटिल है। प्रारंभिक निर्गम एकरेखीय पेशकश है जिसमें एक प्रतिभूति, एक एजेंसी आदि संलग्न होते हैं। प्रारंभिक निर्गम खातों का मेल मिलाप कठिन नहीं है। द्वितीयक बाजार परिचालन में और अधिक अंशधारक तथा उपाय शामिल होते हैं। मसलन शेयर, डेरिवेटिव, विदेशी मुद्रा और जिंस वायदा। कारोबार को एक साथ दोनों एक्सचेंज पर पेश किया जा सकता है और उसे कई तरह से अंजाम दिया जा सकता है।

इस बीच परिसंपत्ति का मूल्य भी क्षणों में बदल सकता है। ऐसे जीवंत कारोबार का आकार काफी बड़ा होता है। द्वितीयक अस्बा प्रणाली को अच्छी तरह तैयार करना होगा और उसे परखना होगा ताकि उसमें संभावित दिक्कतों का पता लगाया जा सके। अगर इसे कारगर बनाया जा सका तो क्लाइंट के धन के दुरुपयोग की चिंता यकीनन कम होगी।

First Published - January 18, 2023 | 10:19 PM IST

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