‘संसदीय कार्य मंत्री जी,यह प्रयास करो कि जिन मंत्री का नाम कार्यसूची में है,वे सदन में उपस्थित रहें। नहीं तो आप ही सारे जवाब दे दो।’ मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला खासे नाराज हो गए। लोकसभा स्पीकर की नाराजगी सरकार के मंत्रियों की सदन में अनुपस्थिति को लेकर थी। कई बार देखा गया है कि संसद के सदनों, लोकसभा या राज्यसभा में जब किसी मंत्रालय से जुड़ा विषय चर्चा में होता है, उस मंत्रालय के संबध्द मंत्री सदन में नही होते हैं।
लोकसभा में मंगलवार को शून्यकाल शुरू होने से पहले कार्यसूची में विभिन्न मंत्रियों के नाम से अंकित दस्तावेज संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर अप्रसन्नता जताते हुए अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संबंधित मंत्रियों को सदन में उपस्थित रहना चाहिए। मंगलवार को सदन में जरूरी प्रपत्र पेश किए जाने के दौरान वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद के नाम पर अंकित एक दस्तावेज को संसदीय कार्य राज्य मंत्री मेघवाल ने रखा। इस दौरान बिरला ने कहा कि उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सदन में बैठे हैं और उन्हें दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा जाना चाहिए था।
इसके बाद गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार को अपने नाम से अंकित दस्तावेज सदन के पटल पर प्रस्तुत करना था और उन्हें कठिनाई होने पर अन्य मंत्री उन्हें बता रहे थे। इस पर बिरला ने मंत्रियों से कहा, ‘‘आप एक-दूसरे को मत समझाओ।’’ उन्होंने मेघवाल से ही संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा। इसके बाद जब मेघवाल ने ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान के नाम पर अंकित एक कागजात भी प्रस्तुत किया तो अध्यक्ष बिरला ने नाखुशी जताते हुए कहा, इस दौरान सदन में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू भी उपस्थित थे। सदन में प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद दोपहर 12 बजे कार्यसूची में अंकित आवश्यक कागजात संबंधित मंत्रियों द्वारा सदन के पटल पर रखे जाते हैं। मंत्रियों के सदन में उपस्थित नहीं होने पर उनकी ओर से सामान्य तौर पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री इन्हें प्रस्तुत करते हैं।