जेल में बंद आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया ने देशवासियों को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिक्षा का महत्व नहीं समझते।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सिसोदिया के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘भ्रष्टाचार में डूबे’ होने के बाद वह अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता खो चुके हैं और अपने पत्र लिखकर खबरों में बने रहने की कोशिश कर रहे थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया का पत्र ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम चिट्ठी लिखी है- ‘प्रधानमंत्री का कम पढ़ा-लिखा होना देश के लिए बेहद खतरनाक है। मोदी जी विज्ञान की बातें नहीं समझते। मोदी जी शिक्षा का महत्व नहीं समझते। पिछले कुछ वर्षों में (उन्होंने) 60,000 स्कूल बंद किए। भारत की तरक्की के लिए पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री होना ज़रूरी है।’
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 26 फरवरी को सिसोदिया को अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।
सिसोदिया ने हस्तलिखित पत्र में मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या ‘कम पढ़ा लिखा’’ प्रधानमंत्री देश के महत्वाकांक्षी युवाओं के सपनों को पूरा करने में ‘सक्षम’ है? पत्र में सिसोदिया ने कहा, ‘आज देश के युवा महत्वाकांक्षी हैं। वे कुछ करना चाहते हैं। वे अवसर की तलाश में हैं। वे दुनिया जीतना चाहते हैं। वे विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कमाल करना चाहते हैं। क्या एक कम पढ़ा लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है?
’भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख विजेंद्र सचदेवा ने ‘आप’ के नेता पर पलटवार करते हुए कहा, ‘दूसरों की शैक्षणिक योग्यताएं पूछने से पहले, सिसोदिया अपनी शैक्षणिक योग्यता बताएं।’
सचदेवा ने दावा किया कि सिसोदिया के शिक्षा मंत्री होने के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों के प्रदर्शन में गिरावट आई। उन्होंने आरोप लगाया, ‘सिसोदिया ने आठ साल तक स्कूलों के एक कार्यक्रम (इवेंट) प्रबंधक (Event management) के तौर पर काम किया, शिक्षा मंत्री के तौर पर नहीं। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकारी स्कूल के नौंवी और 11वीं कक्षा के 40 प्रतिशत बच्चे या तो अनुत्तीर्ण हुए या उन्होंने पुन: परीक्षाएं दीं। 10वीं और 12वीं के छात्र भी असमंजस में हैं।’
सचदेवा ने ट्वीट किया, ‘भ्रष्टाचार में डूब कर राजनीतिक प्रासंगिकता खो चुके मनीष सिसोदिया खबरों में बने रहने के लिए अब चिट्ठी चिट्ठी खेल रहे हैं। दूसरों की शैक्षणिक योग्यता पूछने से पहले सिसोदिया बताएं कि उनकी खुद की शैक्षणिक योग्यता क्या है?’