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BS Manthan 2024: व्यापार नीति देश के विकास के अनुरूप, 2030 तक देश का निर्यात 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने की उम्मीद: पीयूष गोयल

बिजनेस स्टैंडर्ड के एडिटोरियल डायरेक्टर AK Bhattacharya के साथ फायरसाइड चैट के दौरान गोयल ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में, कई उत्पादों के लिए अभी भी उच्च शुल्क हैं।

Last Updated- March 28, 2024 | 1:40 PM IST
Piyush Goyal
BS Manthan: Piyush Goyal in a fireside chat with AK Bhattacharya

BS Manthan 2024: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने गुरुवार को कहा कि भारत की व्यापार नीति उसके विकास  के अनुरूप है और इसमें अभी और विस्तार की गुंजाइश है। ।

राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में स्थित भारत मंडपम में हो रहे ‘बिजनेस स्टैंडर्ड मंथन’ में, गोयल ने कहा, “हमें अपने विकास के रास्ते पर ध्यान देना  होगा और व्यापार नीति को उसी के अनुरूप समायोजित करना होगा ”

गोयल ने कहा, “आप सभी के लिए एक ही नीति फायदेमंद नहीं हो सकती। जो 2024 में अमेरिका के लिए काम आया वह जरूरी नहीं के भारत के लिए भी काम आए।

बिजनेस स्टैंडर्ड के एडिटोरियल डायरेक्टर AK Bhattacharya के साथ फायरसाइड चैट के दौरान गोयल ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में, कई उत्पादों के लिए अभी भी उच्च शुल्क हैं।

उन्होंने कहा कि फिर भी, भारत को अपनी अर्थव्यवस्था का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने और दुनिया के साथ बड़े पैमाने पर जुड़ाव और एक्सपोर्ट में तेजी से ग्रोथ पर ध्यान देने की जरूरत है।
गोयल ने कहा, “हम 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात करेंगे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इसे हासिल कर लेंगे।”

गोयल ने बताया कि हाल ही में भारत ने चार देशों  Iceland, Liechtenstein, Norway और Switzerland के साथ European Free Trade Association (EFTA) पर हस्ताक्षर किए हैं।  इन देशों ने एग्रीमेंट के तहत भारत में 1 मिलियन डायरेक्ट जॉब्स पैदा करने के लिए एडिशनल 100 अरब डॉलर देने का वादा किया है।

Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) पर गोयल ने कहा कि भारत ने स्टेकहोल्डर्स की चिंताओं के कारण और भारतीय बाजार को चीन से बचाने के लिए 2019 में इस नीति से हटने का फैसला किया।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत RCEP से बाहर नहीं निकला होता तो उसकी उस तरह की विकास गाथा नहीं होती जैसी हाल के वर्षों में रही है।

गोयल ने कहा कि भारत में विदेशी निवेश में गिरावट ग्लोबल लेवल पर हाई इंटरेस्ट रेट के कारण है।

उन्होंने कहा, “पिछले दो वर्षों में ब्याज दरें आसमान छू गई हैं।”

“जब विकसित देशों में ब्याज दरें इतनी ऊंची हैं, तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि देश से पूंजी बाहर जाएगीऔर नए निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ेगी।”

उन्होंने कहा कि फिर भी भारत में इस मामले में नाममात्र की गिरावट आई है। उन्होंने कहा, “अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह गिरावट हालांकि काफी तेज रही है।”

First Published - March 28, 2024 | 1:11 PM IST

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