facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

भारत में पिछले 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से उबरे

नीति आयोग ने जारी की ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: प्रगति समीक्षा 2023’ रिपोर्ट

Last Updated- July 17, 2023 | 11:43 PM IST
India's population

भारत में साल 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबी से उबर गए हैं। नीति आयोग द्वारा सोमवार को जारी किए गए राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) से यह जानकारी मिली है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीब लोगों की हिस्सेदारी साल 2015-16 के 24.85 फीसदी से घटकर 2019-21 में 14.96 फीसदी हो गई। यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में सुधार को दर्शाता है, जो इसके सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप है।

इसमें पोषण, बाल एवं किशोर मृत्युदर, मांओं के स्वास्थ्य, स्कूलों में उपस्थिति, खाना बनाने में उपयोग होने वाले ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली और आवास जैसे बुनियादी संकेतक शामिल हैं।

यह सूचकांक आय गरीबी के आकलन का पूरक है क्योंकि यह सीधे अभावों का आकलन करता है और तुलना करता है। इससे पहले गरीबी का अनुमान मुख्य रूप से एकमात्र संकेतक आय पर निर्भर था।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि साल 2015-16 और 2019-21 के बीच एमपीआई वैल्यू 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया और गरीबी की तीव्रता 47 फीसदी से घटकर 44 फीसदी हो गई, जिससे भारत एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) लक्ष्य 1.2 प्राप्त करने की राह पर निकल गया, जिससे साल 2030 के लिए तय की गई मियाद से बहुत पहले बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट जारी करने के दौरान नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत 2023 की निर्धारित समयसीमा की तुलना से काफी पहले एसडीजी 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा घटाने के लक्ष्य) को हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, स्वच्छता, पोषण, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर सरकार के ध्यान देने के कारण इन क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।

पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान दिया है, जबकि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसी पहलों ने देश भर में स्वच्छता में सुधार किया है।

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि वैश्विक महामारी जब चरम पर थी उस दौरान केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबी में तेजी से गिरावट देखी गई, जो 32.59 फीसदी से घटकर 19.28 फीसदी हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 8.65 फीसदी से घटकर 5.27 फीसदी हो गई।

सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे अधिक कमी उत्तर प्रदेश में देखी गई, जहां 3.43 कोरड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरे। इसके बाद बिहार (2.25 करोड़), मध्य प्रदेश (1.35 करोड़) राजस्थान (1.08 करोड़) और पश्चिम बंगाल (92.6 लाख) का स्थान है।

First Published - July 17, 2023 | 11:43 PM IST

संबंधित पोस्ट