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फंड प्रबंधकों को पसंद आ रहे लार्जकैप, मिड व स्मॉलकैप के मुकाबले बेहतर वैल्यू की पेशकश

विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि पिछले एक साल में एफपीआई का निवेश उस तरह का नहीं रहा है, लिहाजा लार्जकैप का प्रदर्शन सुस्त रहा है।

Last Updated- December 11, 2023 | 11:52 PM IST
large cap

बाजारों में अच्छी खासी तेजी के बाद व्यापक तौर पर मूल्यांकन ऊंचा हो गया है। निफ्टी-50 इंडेक्स अब 12 महीने पहले के 24.3 गुने पीई गुणक पर ट्रेड कर रहा है, जो इस साल के निचले स्तर 20.5 गुने के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा है।

व्यापक बाजारों में मूल्यांकन का विस्तार और भी तेज रहा है। निफ्टी मिडकैप-100 अभी 12 महीने पहले के 33 गुने पर पीई पर है, जो मार्च के स्तर से 46 फीसदी ज्यादा है, वहीं निफ्टी स्मॉलकैप 100 का मूल्यांकन 80 फीसदी चढ़कर 30.1 गुने पर पहुंच गया है।

आज के हिसाब से फंड मैनेजरों का मानना है कि लार्जकैप अब मिड व स्मॉलकैप के मुकाबले बेहतर वैल्यू की पेशकश कर रहा है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर रजत चांडक ने कहा, अगर हम व्यापक बाजार पर नजर डालें तो मिड व स्मॉलकैप ने पिछले 6 से 12 महीने में या 2-3 वर्षों में लार्जकैप के मुकाबले अच्छे खासे अंतर के साथ उम्दा प्रदर्शन किया है। अभी लार्जकैप का मूल्यांकन मिड व स्मॉलकैप के मुकाबले उचित नजर आ रहा है।

फंड मैनेजरों को निफ्टी व सेंसेक्स का मौजूदा मूल्यांकन सहजता प्रदान कर रहा है, जो पांच साल के औसत के मुताबिक है और मार्च के निचले स्तर से 22 फीसदी की उछाल के बावजूद जरूरत से ज्यादा नहीं चढ़ा है।

कोटक म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) हर्ष उपाध्याय ने कहा, हालिया तेजी ने मू्ल्यांकन को ऊपर पहुंचाया है, लेकिन अभी भी वे महंगे नहीं हुए हैं। वे मोटे तौर पर लंबी अवधि के औसत के मुताबिक हैं।

लार्जकैप और मिडकैप व स्मॉलकैप के बीच मूल्यांकन के बढ़ते अंतर की वजह निवेशकों की तरफ से हुए निवेश को बताया जा सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निवेश का लार्जकैप के शेयरों की चाल पर अपेक्षाकृत ज्यादा असर होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि पिछले एक साल में एफपीआई का निवेश उस तरह का नहीं रहा है, लिहाजा लार्जकैप का प्रदर्शन सुस्त रहा है।

दूसरी ओर, देसी निवेशकों के मजबूत निवेश के बड़े हिस्से ने या तो म्युचुअल फंडों या फिर सीधे निवेश के जरिये स्मॉलकैप व मिडकैप शेयरों में अपना रास्ता देखा है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि चूंकि देसी फंड मजबूत चाल का पीछा कर रहे हैं, ऐसे में व्यापक बाजारों ज्यादा गर्माहट दिख रही है।

बैलेंस्ड फंडों से संकेत

बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों की परिसंपत्ति आवंटन रणनीति डेट व इक्विटी दोनों में निवेश की होती है, जो बाजार के हालात पर निर्भर होते हैं और यह अक्सर इसका संकेत देता है कि क्या फंड मैनेजर इक्विटी बाजारों को महंगा मान रहे हैं। इस संबंध में किसी तरह का मजबूत संकेत नहीं देखने को मिला है क्योंकि ज्यादातर आवंटन मध्यम श्रेणी में रहा है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का बैलेंस्ड एडवांटेज फंड इस श्रेणी में दूसरा सबसे बड़ा फंड है और उसने इक्विटी में आवंटन नवंबर के आखिर में घटाकर 40.2 फीसदी कर दिया है, जो एक महीने पहले 43.6 फीसदी रहा था। यह फंड करीब 50,000 करोड़ रुपये का प्रबंधन करता है और वह बाजार के हालात के हिसाब से इक्विटी में 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक का आवंटन करता है।

इस श्रेणी में अन्य बड़े फंडों में कोटक एमएफ का फंड भी है, जिसका आवंटन नवंबर के आखिर में 50.2 फीसदी था, जो अक्टूबर के आवंटन के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है।

उपाध्याय ने कहा, इक्विटी आवंटन उस पर हमारे नजरिये को प्रतिबिंबित करता है। नवंबर के आखिर में इक्विटी में 50.2 फीसदी आवंटित था, जो हमारे 20 से 80 फीसदी के दायरे में आता है। अक्टूबर के मुकाबले यह बढ़ा है, जिसकी वजह बाजार की रफ्तार और बाजार का ट्रेंड है।

First Published - December 11, 2023 | 11:13 PM IST

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