facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

सरकार को कच्चा तेल 85 डॉलर प्रति बैरल रहने की आस

विश्लेषकों का अनुमान है कि वैश्विक वृद्धि सुस्त रहने के कारण मांग घट सकती है लेकिन भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा तो कीमत चढ़ेगी।

Last Updated- January 11, 2024 | 11:17 PM IST
Crude Oil

वित्त वर्ष 2025 के अंतरिम बजट के लिए सब्सिडी अनुमान लगाते समय वित्त मंत्रालय मान रहा है कि कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल पर रह सकती हैं। अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा।

कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को एक डॉलर बढ़कर 77.8 डॉलर प्रति बैरल रहीं। कच्चा तेल चढ़ते ही रसोई गैस भी महंगी होने लगती है, जिसका सीधा असर रसोई गैस और उर्वरक सब्सिडी पर पड़ता है।

सरकार सब्सिडी के अपने कुल बजट का 53 फीसदी इन्हीं दोनों पर खर्च करती है। रसोई गैस सब्सिडी पर खर्च अगले साल और बढ़ सकता है क्योंकि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अगले तीन सालों में 75 लाख नए गैस कनेक्शन देने का फैसला किया है। इस योजना के तहत गैस पाने वालों की संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी।

कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। अगर उत्पाद के दाम उसी हिसाब से नहीं बढ़ाए जाएं तो कंपनियों की लाभप्रदता घट जाती है और सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ता है।

एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘हमें उम्मीद है कि कच्चा तेल 75 से 85 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेगा। मगर यह हमारे वश में नहीं हैं और पश्चिम एशिया में संकट गहराने पर हमारे अनुमान धरे रह जाएंगे। आम चुनाव के बाद वित्त वर्ष 2025 का पूर्ण बजट पेश करते समय हमारे पास हालात का जायजा लेने का एक और मौका होगा।’

पिछले साल आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वर ने संवाददाताओं से कहा था कि सरकार को वित्त वर्ष 2024 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहने की अपेक्षा है। पिछले महीने रॉयटर्स ने 34 अर्थशास्त्रियों का मत लिया था। जिसके मुताबिक 2024 में तेल की अंरराष्ट्रीय कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि वैश्विक वृद्धि सुस्त रहने के कारण मांग घट सकती है लेकिन भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा तो कीमत चढ़ेगी। इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ‘लाल सागर संकट का अभी तक कच्चे तेल की कीमतों पर खास असर नहीं दिखा है। अगर कच्चे तेल का औसत मूल्य 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब रहता है तो कुछेक दिन दाम ऊंचे रहने से भी दिक्कत नहीं होगी। ‘

विश्व बैंक ने मंगलवार को जारी वैश्विक आर्थिक अनुमान में कहा कि तेल के दाम 2024 में घट कर 81 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है क्योंकि वैश्विक गतिविधियां मंद हैं और चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त है।

अनुमान में कहा गया, ‘पश्चिम एशिया में संघर्ष तेज हुआ तो तेल की कीमत चढ़ने का खतरा है। ओपेक देशों ने 2024 की पहली तिमाही के बाद भी उत्पादन घटाया और मांग अनुमान से ज्यादा चढ़ गई तो कीमतें उछल जाएंगी।’

First Published - January 11, 2024 | 11:01 PM IST

संबंधित पोस्ट