facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

NMC के केवल जनेरिक दवाएं लिखने के विरोध में आया IMA

देश के 32 राज्यों और 1760 स्थानीय शाखा वाले IMA ने NMC के इस कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है

Last Updated- August 14, 2023 | 11:16 PM IST
medicine price

भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों के शीर्ष निकाय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केवल जनेरिक दवाएं लिखने के कदम का विरोध किया है। राष्ट्रीय चिकित्सा काउंसिल (एनएमसी) ने डॉक्टरों के लिए जनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य करने के लिए कदम उठाया है। आईएमए से करीब चार लाख डॉक्टर जुड़े हैं। आईएमए ने इसे रोकने की मांग करते हुए केंद्र से व्यापक चर्चा कराने की मांग की है।

एनएमसी एक सरकारी निकाय है जो स्वास्थ्य शिक्षा और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को विनियमित करता है। देश के 32 राज्यों और 1760 स्थानीय शाखा वाले आईएमए ने एनएमसी के इस कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है। भारत ब्रांडेड जनेरिका दवाओं का मार्केट है और यहां औषधि कंपनियां मिलते जुलते नामों से अपने उत्पाद पेश करती हैं। लिहाजा एक ही मोलेक्यूल को विभिन्न नामों से बेचा जा सकता है।

एनएमसी ने 2 अगस्त को ‘पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियम’ जारी किया। इसमें कहा गया, ‘हर आरएमपी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर) को जनेरिक दवाएं स्पष्ट लिखनी चाहिए। आरएमपी तार्किक रूप से दवाएं लिखे। उसे बेवजह दवाएं लिखने से बचना चाहिए।’

इस बारे में आईएमए ने सोमवार को जारी बयान में कहा, ‘यह आईएमए के लिए अत्यंत चिंता का मुद्दा है। इससे मरीजों की देखभाल और सुरक्षा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती है। सही ढंग से जनेरिक दवाओं को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।’ आईएमए ने कहा, ‘देश में गुणवत्ता नियंत्रण बेहद कमजोर है। दवा की गुणवत्ता जांच किए बिना दवाई लिखे जाने पर व्यावहारिक रूप से कोई गारंटी नहीं होगी और यह मरीज के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भारत में बनने वाली दवाओं में 0.1 फीसदी दवाओं की ही गुणवत्ता परीक्षण होता है।’

उसने कहा कि इस आदेश के कारण मरीज के स्वास्थ्य के देखभाल की जिम्मेदारी प्रशिक्षित व जिम्मेदार डाक्टर की जगह दवा विक्रेता पर आ जाएगी। दवा विक्रेता का मकसद केवल अपनी दुकान पर उपलब्ध दवाएं बेचना है।

First Published - August 14, 2023 | 11:16 PM IST

संबंधित पोस्ट