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FDI में बढ़ी भारत की हिस्सेदारी, बेहतरी की आस

विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अधिक गिरावट देखी गई। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई 37 फीसदी गिरकर 378 अरब डॉलर आ गया।

Last Updated- November 14, 2023 | 10:43 PM IST
इकनॉमिक सर्वे में चीन से FDI बढ़ाने की वकालत, Economic Survey 2024: Economic Survey advocates increasing FDI from China

विश्व के कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में भारत की हिस्सेदारी न केवल सालाना आधार पर बढ़ी है बल्कि उसका क्षेत्र के प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में वृद्धि प्रतिशत भी बढ़ा है। भारत इस वृद्धि के मामले में शीर्ष देशों में रहा।

हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार भारत में वित्त वर्ष 22 में 58 अरब डॉलर एफडीआई आया था और यह वित्त वर्ष 23 में 22 फीसदी गिरकर 46 अरब डॉलर पर आ गया था।

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (अंकटाड) के आंकड़ों के अनुसार भारत का वैश्विक एफडीआई हासिल करने में प्रतिशत बढ़ा है। वैश्विक एफडीआई प्राप्त करने में भारत की हिस्सेदारी 2017 में 2.4 प्रतिशत थी और यह 2022 में बढ़कर 3.8 प्रतिशत हो गई। हालांकि इस अवधि में कुल एफडीआई हासिल करने में 21 फीसदी की गिरावट आई।

यह रुझान मॉर्गन स्टैनली के आंकड़े से भी प्रदर्शित हुआ है। मॉर्गन स्टैनली का अनुमान 2023 की पहली तिमाही (इसमें अंकटाड, हैवर और सीईआईसी के आंकड़े भी शामिल हैं) पर आधारित है। इस अनुमान प्रदर्शित करता है कि वर्ष 2017 की चौथी तिमाही की 2.4 फीसदी की हिस्सेदारी 2023 की पहली तिमाही में बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई।

हालांकि 2017 की चौथी तिमाही से 2023 की पहली तिमाही में एफडीआई हासिल करने की दर 1.8 प्रतिशत से बढ़ी। क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में भारत की यह वृद्धि दर अधिक रही।

जैसे वियतनाम (0.9 प्रतिशत), मलेशिया (0.9 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (0.9 प्रतिशत), इंडोनेशिया (0.8 प्रतिशत), ताइवान (0.7 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (0.5 प्रतिशत), फिलिपींस (0.2 प्रतिशत), थाईलैंड (0.1 प्रतिशत) और चीन (-0.1 प्रतिशत)। इस अवधि में एफडीआई की सर्वाधिक वृद्धि दर जापान की 2.4 प्रतिशत रही।

भारत में आने वाले कुल एफडीआई में कमी केवल वैश्विक कारणों से ही नहीं आई है बल्कि स्टॉर्टअप के उद्यम पूंजी कोष में गिरावट के कारण भी आई है। हालांकि अभी तक स्टॉर्टअप के लिए मूल्यांकन का शानदार था।

स्टॉर्टअप पर लाभ हासिल करने का दबाव पड़ा और फिर उनका मूल्यांकन कम हुआ। इससे निवेश में पर्याप्त रूप से गिरावट आई। उदाहरण के तौर पर सॉफ्टबैंक ने अभी तक इस साल भारत के स्टॉर्टअप में कोई नकदी नहीं डाली है। वैसे हरेक इस बात से सहमत है कि यह समायोजन का अस्थायी दौर है।

अत्यधिक निवेश इलेक्टॉनिक्स के क्षेत्र में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के साथ-साथ अत्यधिक पूंजी लागत वाले सेमीकंडक्टर क्षेत्र में हुआ है। लेकिन अभी यह निवेश जमीनी स्तर पर फलीभूत नहीं हुआ है।

जैसे फॉक्सकॉन ने भारत में 10 अरब डॉलर का राजस्व हासिल किया और उसने यंत्रों, इलेक्ट्रिक व्हीकल असेम्बली और सेमीकंडक्टर संयंत्रों के क्षेत्र में 2 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की है। सरकार भी सेमीकंडक्टर 4 अरब से 5 अरब डॉलर के निवेश हासिल करने के लिए प्रयासरत है।

अंकटाड के मुताबिक 2021 में जबरदस्त ढंग से वैश्विक एफडीआई होने के बाद 2022 में 12 फीसदी गिरकर 1.3 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गई। इसका कारण एक के बाद एक आने वाले वैश्विक संकट थे। इनमें यूक्रेन में युद्ध, खाद्य और ऊर्जा के ऊंचे दाम और बढ़ता सार्वजनिक ऋण हैं।

विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अधिक गिरावट देखी गई। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई 37 फीसदी गिरकर 378 अरब डॉलर आ गया।

विकासशील देशों में वैश्विक एफडीआई 4 प्रतिशत की दर से बढ़ा लेकिन इसमें भी असमानता रही। कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने ज्यादातर निवेश हासिल किया जबकि कम विकसित देशों के एफडीआई हासिल करने में गिरावट आई।

First Published - November 14, 2023 | 10:42 PM IST

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