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PESA Act से मिलेगा आदिवासी अर्थव्यवस्था को बल

Last Updated- December 30, 2022 | 11:54 AM IST
PESA Act
Unsplash

मध्य प्रदेश के आदिवासी समाज की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों पंचायत एक्सटेंशन टु शेड्यूल्ड एरिया (पेसा) अधिनियम को मंजूरी प्रदान की।

मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदायों के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं और राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक यहां करीब 37 लाख लोग लघु वनोपज संग्रहण के जरिये अपनी आजीविका चलाते हैं। इनमें से करीब आधे लोग आदिवासी समुदाय के हैं। इन लघु वनोपज संग्राहक समुदायों को बिचौलियों से बचाने के लिए ही राज्य सरकार ने पेसा कानून लागू किया है।

आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए अब इन वनोपजों का कारोबार ग्राम सभा के माध्यम से किया जाएगा। मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ भी लगातार यह प्रयास कर रहा है कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों तथा अन्य ग्रामीणों को उनकी उपज का समुचित मूल्य मिलना सुनिश्चित हो सके। इसके लिए वह 1066 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों और 60 जिला वनोपज सहकारी संघों की मदद से वनोपज संग्रह का काम कर रहा है। इस दौरान वह न केवल इन उपजों की प्रोसेसिंग, स्टोरेज और मार्केटिंग का काम कर रहा है बल्कि आदिवासी युवाओं को रोजगार भी मुहैया करा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष लगाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय वन मेला भी इसी सिलसिले का हिस्सा है जहां विविध वन उपजों को आम लोगों के लिए प्रदर्शित किया जाता है और उनका कारोबार किया जाता है। मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के मुताबिक इस वर्ष आयोजित वन मेले में करीब तीन करोड़ रुपये की वनोपज बेची गई। इसके अतिरिक्त वन मेले के दौरान 28 करोड़ रुपये मूल्य के अनुबंध भी हुए जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार खरीदार और विक्रेता के बीच से बिचौलियों को समाप्त करने का प्रयास कर रही है ताकि बड़े संस्थानों को सीधे उत्पादकों से जोड़कर उपज का बेहतर मूल्य मिलना सुनिश्चित किया जा सके। शाह ने यह भी कहा कि राज्य सरकार महुआ जैसी वन उपजों से च्यवनप्राश और चॉकलेट बनवाने का प्रयास कर रही है।

मध्य प्रदेश के वनों से प्राप्त होने वाली लघु वनोपज में महुआ के अलावा आंवला, बहेड़ा, शहद, इमली, तेंदू पत्ता, साल के बीज, गोंद, चिरौंजी, आदि शामिल हैं।

प्रदेश सरकार ने अपनी पिछली आबकारी नीति में महुआ के फूल से बनने वाली हेरिटेज शराब की बिक्री की योजना पेश की थी। प्रदेश के तीन जिलों यह योजना पायलट आधार पर चलाई जा रही है। सरकार महुए के फूल से शराब बनाने वाले स्वयं सहायता समूहों को कर रियायत देगी तथा इस शराब को मध्य प्रदेश पर्यटन के होटलों में हेरिटेज मदिरा के रूप में बेचा जाएगा।

First Published - December 30, 2022 | 10:42 AM IST

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