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भारतीय इक्विटी बाजारों में विदेशी निवेश में आ सकती है सुस्ती

बढ़ती तेल कीमतों, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियों, बॉन्ड प्रतिफल में सुधार और डॉलर सूचकांक में तेजी के बीच प्रवाह में नरमी आने का अनुमान है।

Last Updated- September 17, 2023 | 10:36 PM IST
FPI Investments

विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय इक्विटी बाजारों में विदेशी निवेश शार्ट टर्म में थम सकता है। इसकी वजह है बढ़ती तेल कीमतें, वैश्विक केंद्रीय बैंकों के नीतिगत कदम, बढ़ता बॉन्ड प्रतिफल और डॉलर सूचकांक में मजबूती।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘मूल्यांकन महंगा दिख रहा है, क्योंकि बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। विदेशी निवेशक आने वाले दिनों में बिकवाली कर सकते हैं।

अमेरिका में ऊंचे बॉन्ड प्रतिफल (10 वर्षीय बॉन्ड 4.28 प्रतिशत) और डॉलर सूचकांक 105 के पार पहुंचने से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा ज्यादा बिकवाली किए जाने का अनुमान है। भले ही वे कैश मार्केट में बिकवाल रहे हैं, लेकिन इसका बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा सितंबर में की गई खरीदारी से इसकी भरपाई हो गई।’

15 सितंबर, 2023 तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 6,027 करोड़ रुपये निकाले और 2023 में भारतीय शेयरों में उनका शुद्ध निवेश 1.31 लाख करोड़ रुपये पर रहा।

आंकड़े से पता चलता है कि इसके विपरीत, म्युचुअल फंडों और डीआईआई ने 7,664 करोड़ रुपये (12 सितंबर तक) और 10,230 करोड़ रुपये (15 सितंबर तक) निवेश किए।

जहां भारतीय बाजारों ने मजबूत स्थानीय वृहद आर्थिक कारकों की वजह से वैश्विक इक्विटी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, वहीं वैश्विक निवेशकों ने अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी और कच्चे तेल कीमतों में उछाल की वजह से सितंबर में शेयरों में बिकवाली की। सऊदी अरब और रूस द्वारा आपूर्ति घटाए जाने के बाद कच्चे तेल की कीमतें 94 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई थीं।

कोटक सिक्योरिटीज में शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से एक बार फिर मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलेगा और केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाने पर जोर देंगे, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं। इस सप्ताह अमेरिकी मौद्रिक नीति से पहले, एफआईआई गतिविधि में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है और तेल कीमतों तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी आ सकती है।’

तकनीकी नजरिये से, विश्लेषक मान रहे हैं कि बाजार पिछले कुछ महीनों में बड़ी तेजी के बाद अब थम सकता है। उनका कहना है कि निफ्टी-50 सूचकांक 20,300 के स्तर के प्रतिरोध के नजदीक कारोबार कर रहा है।

रेलिगेयर ब्रोकिंग में टेक्नीकल रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, ‘हम बाजार में अब कुछ ठहराव देख सकते हैं। गिरावट आने पर निफ्टी के लिए 19,700-19,950 का दायरा समर्थन के तौर पर काम करेगा। वहीं यदि यह सूचकांक 20,300 के पार जाता है तो इसे धीरे धीरे बढ़कर 20,700 के स्तर को छूने में मदद मिलेगी।’

विश्लेषकों का कहना है कि इस बीच, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) द्वारा अपनी आगामी बैठक में दरें स्थिर रखे जाने की संभावना है, क्योंकि अमेरिका में प्रमुख मुद्रास्फीति धीरे धीरे घटी है और श्रम बाजार का संतुलन कुछ हद तक स्थिर हो गया है।

First Published - September 17, 2023 | 10:36 PM IST

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