facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

दिल्ली हाईकोर्ट ने पेटेंट उल्लंघन मामले में माना वेबैक मशीन का साक्ष्य, कुछ लोगों को दिया दोषी करार

Last Updated- May 18, 2023 | 10:09 PM IST
Delhi High Court

अभूतपूर्व मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उल्लंघन साबित करने के लिए वेबैक मशीन के प्रमाणपत्र को साक्ष्य मानते हुए पेटेंट उल्लंघन के लिए कुछ लोगों को दोषी करार दिया है।

वेबैक मशीन वर्ल्ड वाइड वेब का डिजिटल आर्काइव है। इसकी स्थापना सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में गैर लाभकारी रूप में इंटरनेट आर्काइव द्वारा की गई है। इसमें उपभोक्ताओं को बीते दिनों में जाने की अनुमति मिलती है और यह देखा जा सकता है कि पहले वेबसाइट कैसी दिखती थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय में सुजेन इंक ने एक याचिका दायर की थी, जो परोक्ष रूप से पूरी तरह मालिकाना वाली फाइजर इंक की सहायक इकाई है। यह याचिका के विजय प्रकाश व अन्य के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि वे उच्च न्यायालय के 2016 के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं।

न्यायालय ने वेबैक मशीन प्रमाणपत्र पर विश्वास किया, जिसमें यह साबित किया गया था कि प्रकाश व अन्य (आरोपी) सुजेन की दवा क्राईजोटिनिब से मिलती जुलती दवा बेच रहे हैं, जो उनकी पुरानी वेबसाइट पर मौजूद थी। न्यायालय ने पाया कि आरोपी सुजेन के पेटेंट के उल्लंघन के दोषी हैं।

न्यायालय ने 1 जनवरी 2016 को आरोपियों से कहा था कि वे अपनी उस दवा को बेचना बंद कर दें, जिसमें सुजेन की दवा के समान कंपोजिशन है। इसमें एक आरोपी बांग्लादेश की इकाई है, जिसने दिल्ली सहित भारत में अपने जेनेरिक उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की है। याची ने कहा कि आरोपियों को दवा न बेचने को कहा था, उसके बाद भी वे दवा बेच रहे हैं और न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।

याची ने कहा, ‘इस मामले में आदेश होने के बाद भी आरोपी ई-कॉमर्स की वेबसाइट के माध्यम से उत्पाद बेच रहे थे।’ बहस के दौरान याचियों ने इंटरनेट आर्काइव के लिए वेबैक मशीन के प्रमाणपत्र पेश किए, जिसमें यह संकेत था कि बांग्लादेश की इकाई आरोपियों से जुड़ी कंपनी थी।

First Published - May 18, 2023 | 10:09 PM IST

संबंधित पोस्ट