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Go First के RP को उच्च न्यायालय की फटकार

न्यायमूर्ति गंजू ने एक अंतरिम आदेश के माध्यम से पट्टादाताओं को विमान का निरीक्षण करने की अनुमति दी थी।

Last Updated- September 01, 2023 | 11:14 PM IST
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Go First: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि गो फर्स्ट के आरपी (समाधान पेशवर) को व्यक्तिगत रूप से अदालत में बुलाया जाएगा यदि वह बंद पड़ी विमानन कंपनी के पट्टेदारों को विमान का निरीक्षण करने की अनुमति देने के अदालत के आदेश का पालन नहीं करता है।
जस्टिस तारा वितास्ता गंजू ने टिप्पणी की कि विमान की तस्वीरें खुद सब कुछ बयां करती हैं।

न्यायाधीश एक पट्टादाता द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों का जिक्र कर रही थीं। इसमें कथित तौर पर विमान के महत्त्वपूर्ण हिस्से गायब दिख रहे थे।

इस मामले में एक पट्टादाता ने अदालत को बताया था कि कि जुलाई में अदालत के आदेशों के बावजूद उन्हें अभी भी अपने विमान का निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी गई है। न्यायमूर्ति गंजू ने एक अंतरिम आदेश के माध्यम से पट्टादाताओं को विमान का निरीक्षण करने की अनुमति दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के खंडपीठ ने भी आदेश बरकरार रखते हुए और इस प्रकार पट्टेदारों को विमान के निरीक्षण की अनुमति दी थी।

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आरपी की ओर से पेश वकील ने कहा कि मामले में पट्टादाता ‘फोरम शॉपिंग’ कर रहा था क्योंकि उसने भी इसी राहत की मांग करते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) से संपर्क किया था लेकिन उसे इनकार कर दिया गया था।

इस बीच, एनसीएलटी ने शुक्रवार को आरपी को पट्टे पर दिए गए विमानों और इंजनों के रखरखाव पर दो दिनों में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। ऐसा तब हुआ जब एक पट्टादाता ने आरोप लगाया कि आरपी एनसीएलटी के निर्देशों के अनुसार विमान और इंजन का रखरखाव नहीं कर रहा था। मामले में एक पक्ष बनाए जाने के लिए आवेदन दायर करने के बाद एनसीएलटी ने मामले में ऋणदाताओं के इरादों पर भी सवाल उठाया। अधिकरण ने कहा कि जब आरपी पहले से ही उनके हित में काम कर रहा था तो ऋणदाताओं को मामले में एक पक्ष बनाने की आवश्यकता क्यों है।

फिलहाल, ऋणदाता अपनी दलीलें दाखिल कर सकते हैं लेकिन उन्हें मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है।

First Published - September 1, 2023 | 11:14 PM IST

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