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Chabahar Port: भारत, ईरान ने चाबहार में टर्मिनल के लॉन्ग टर्म ऑपरेशन सौदे पर हस्ताक्षर किए, 8 देशों के बीच बढ़ेगा व्यापार

यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।

Last Updated- May 13, 2024 | 7:48 PM IST
India, Iran signed long term operation agreement of terminal in Chabahar, trade will increase between 8 countries भारत, ईरान ने चाबहार में टर्मिनल के लॉन्ग टर्म ऑपरेशन समझौते पर हस्ताक्षर किए, 8 देशों के बीच बढ़ेगा व्यापार

भारत और ईरान ने चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के परिचालन के लिए सोमवार को एक दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। ईरान स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में यह जानकारी दी।

बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं।

इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, ‘‘अनुबंध पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है। इस अनुबंध से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता और दृश्यता पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।’’

सोनोवाल ने कहा कि चाबहार न केवल भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री परिवहन की दृष्टि से भी यह एक शानदार बंदरगाह है। उन्होंने ईरान के बंदरगाह मंत्री के साथ बैठक भी की। भारत क्षेत्रीय व्यापार खासकर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है। यह बंदरगाह ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (आईएनएसटीसी) परियोजना के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है।

INSTC परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक बहुस्तरीय परिवहन परियोजना है।

विदेश मंत्रालय (MEA) ने ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

IPGL की सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (IPGCFZ) ने 2019 में अफगानिस्तान से भारत में निर्यात की पहली खेप की सुविधा दी थी।

बयान में कहा गया है कि उक्त परिचालन अल्पकालिक अनुबंधों के माध्यम से जारी रहा, जबकि अगस्त, 2022 में सोनोवाल की चाबहार यात्रा के साथ दीर्घकालिक समझौते पर बातचीत ने गति पकड़ी। बयान के मुताबिक, समझौता बढ़े हुए व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

First Published - May 13, 2024 | 7:48 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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