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भारत, रूस ने वर्ष 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा

संयुक्त बयान में भारत और रूस ने ''राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली के विकास'' पर सहमति जताई।

Last Updated- July 10, 2024 | 6:27 AM IST
Vladimir Putin, Narendra Modi
Vladimir Putin, Narendra Modi

भारत और रूस ने आपसी व्यापार को वर्ष 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक पहुंचाने पर बुधवार को सहमति जताई। यह लक्ष्य निवेश को बढ़ावा देकर, आपसी व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग और ऊर्जा से लेकर कृषि एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर हासिल किया जाएगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मॉस्को में आयोजित 22वीं वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने विशेष और विशेषाधिकार-प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

दोनों पक्षों ने रूस-भारत व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय बातचीत को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की बात भी कही। दोनों देशों ने सहयोग के नौ प्रमुख क्षेत्रों पर सहमति व्यक्त की। इनमें व्यापार, राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके व्यापार निपटान, उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसे नए मार्गों के जरिए माल परिवहन कारोबार में वृद्धि शामिल हैं। सहयोग के अन्य क्षेत्रों में कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरक व्यापार में वृद्धि, परमाणु ऊर्जा सहित ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बातचीत को मजबूत करना, डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश और संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देना, दवाओं की आपूर्ति में सहयोग और मानवीय सहयोग को प्रोत्साहन शामिल है।

संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने ”भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को खत्म करने” और ”ईएईयू-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना सहित द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण के लिए बातचीत जारी रखने” पर सहमति जताई। दोनों देशों की इस पहल का मकसद वर्ष 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के आपसी व्यापार का लक्ष्य हासिल करना है।

इसमें संतुलित द्विपक्षीय व्यापार के लिए भारत से वस्तुओं की आपूर्ति में वृद्धि शामिल है। इसके साथ ही निवेश गतिविधियों को फिर से सक्रिय करने पर सहमति जताई गई।

संयुक्त बयान में भारत और रूस ने ”राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली के विकास” पर सहमति जताई। इसका मतलब है कि भारत रूस से कच्चे तेल जैसी किसी भी खरीद का भुगतान संभावित रूप से भारतीय रुपये में करेगा। इसके बदले में रूस भारतीय मुद्रा का उपयोग भारत से आयात के भुगतान के लिए कर सकता है। इसी तरह रूसी मुद्रा रूबल का उपयोग भी संभव है। दोनों नेताओं ने उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री रेखा के नए मार्गों की शुरुआत करने पर भी सहमति जताई।

बयान के मुताबिक माल की बाधा-मुक्त आवाजाही के लिए डिजिटल प्रणालियों के इस्तेमाल से सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने पर भी सहमति व्यक्त की गई। दोनों देश कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने के साथ ही पशु चिकित्सा, स्वच्छता और कृषि उत्पादों में कीटनाशकों की मौजूदगी से जुड़ी पाबंदियों को हटाने के लिए बातचीत करने पर भी सहमत हुए। बयान में कहा गया, ”समझौते के तहत परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने और ऊर्जा बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने की बात भी शामिल है।”

दोनों पक्षों ने बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, वाहन उत्पादन और जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को आगे बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इसके अलावा सहायक कंपनियों और औद्योगिक समूहों के गठन से एक-दूसरे के बाजारों में भारतीय और रूसी कंपनियों के प्रवेश को आसान बनाने पर भी सहमति बनी।

First Published - July 10, 2024 | 6:27 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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