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India-US Trade Deal: सरकार ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौता के लिए कृ​षि वस्तुओं को तीन श्रे​​णियों में बांटा

चावल और गेहूं जैसी मुख्य खाद्य वस्तुओं को पहली श्रेणी में रखा गया है जहां शुल्क में किसी भी तरह की रियायत पर विचार नहीं किया जा सकता है।

Last Updated- June 09, 2025 | 11:28 PM IST
India US Trade Deal

भारत ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत कृषि वस्तुओं पर अपनी महत्त्वपूर्ण बातचीत में स्पष्ट लक्ष्मण रेखाएं खींच दी हैं। इसके तहत भारत ने अपने कृषि उत्पादों को तीन श्रे​णियों में वर्गीकृत किया है। एक सरकारी अ​धिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहली श्रेणी में उन वस्तुओं को रखा गया है जिन पर कोई मोलभाव या बातचीत नहीं हो सकती जबकि दूसरी श्रेणी में अत्य​धिक संवेदनशील वस्तुओं को और तीसरी श्रेणी में उदारतापूर्वक विचार की जाने वाली वस्तुओं को रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह वर्गीकरण वस्तुओं की आ​र्थिक एवं राजनीतिक संवेदनशीलता के आधार पर किया गया है।

चावल और गेहूं जैसी मुख्य खाद्य वस्तुओं को पहली श्रेणी में रखा गया है जहां शुल्क में किसी भी तरह की रियायत पर विचार नहीं किया जा सकता है। काफी संवेदनशील वस्तुओं सेब आदि को रखा गया है जो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के किसानों के हितों से जुड़े हैं। इस श्रेणी की वस्तुओं पर न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) अथवा शुल्क दर कोटा के जरिये सीमित रियायतें दी जा सकती हैं। मगर भारत के अमीर लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली महंगी वस्तुओं के आयात के मामले में सरकार उदार रुख अपना रही है जहां शुल्क में भारी छूट दी जा सकती है। इस श्रेणी में बादाम, पिस्ता, अखरोट, ब्लूबेरी आदि वस्तुएं शामिल हैं।

दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर इस साल के आ​खिर तक हस्ताक्षर करने की प्रतिबद्धता जताई है‌। मगर भारत 9 जुलाई से लागू होने वाले अमेरिका के 26 फीसदी के जवाबी शुल्क से बचने के लिए जल्द से जल्द इस समझौते पर हस्ताक्षर करने पर जोर दे रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआती समझौते के तहत बाजार पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया गया है, क्योंकि अमेरिका प्रमुख व्यापार भागीदारों के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने पर जोर दे रहा है। व्यापार समझौते के अन्य हिस्सों को बाद में उठाया जाएगा।’

प्रस्तावित समझौते के तहत कृषि क्षेत्र में बाजार पहुंच के बारे में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लटनिक ने पिछले सप्ताह दोनों पक्षों द्वारा राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका किसानों और पशुपालकों के (राजनीतिक प्रभाव) को समझता है। इसलिए हम एक ऐसा रास्ता तलाशना चाहते हैं जो सभी के लिए स्वीकार्य हो। हम साथ मिलकर वह रास्ता तलाश लेंगे।’

अमेरिकी कृषि वस्तु संघों ने 2 अप्रैल को जवाबी शुल्क की घोषणा होने से पहले दूध, चावल, गेहूं, सोयाबीन, मक्का, बादाम, अखरोट, पिस्ता, ब्लूबेरी, चेरी और टेबल अंगूर जैसी वस्तुओं के लिए जबरदस्त सब्सिडी और भारत में उनके सामने आने वाली प्रमुख व्यापार बाधाओं का मुद्दा उठाया था। इंटरनैशनल डेरी फूड्स एसोसिएशन (आईडीएफए) ने कहा कि अमेरिका से डेरी निर्यात के लिए भारत में जबरदस्त संभावनाएं मौजूद हैं, मगर वे गैर-शुल्क बाधाओं एवं उच्च शुल्कों के कारण सीमित हैं।

अमेरिका के गेहूं संघ ने भारत सरकार द्वारा आयात को हतोत्साहित करने के लिए गेहूं उत्पादन के लिए जबरदस्त घरेलू समर्थन के बारे में बताया। उसने कहा, ‘व्यापार को खराब करने वाले घरेलू सब्सिडी खर्च पर अनुपालन से बाजार में बेहतर संकेत जाएंगे और अमेरिकी उत्पादकों का आ​र्थिक लाभ बढ़ेगा।’

इलिनॉय कॉर्न ग्रोअर्स एसोसिएशन (आईसीजीए) ने भारत में आनुवं​शिक तौर पर उन्नत मक्का और जैव ईंधन लक्ष्यों के बावजूद एथनॉल के आयात पर प्रतिबंध के बारे में बताया।

अमेरिकी सोयाबीन एसोसिएशन ने कहा कि भारत अमेरिकी सोया निर्यात के लिए एक मुश्किल बाजार बना हुआ है क्योंकि वह आयात पर घरेलू उत्पादन का पक्ष लेने के लिए शुल्क एवं गैर-शुल्क बाधाओं का सहारा लेता है। अलमंड अलायंस ने कहा कि भारत बादाम के लिए आयात शुल्क में कमी किए जाने से अमेरिका भारत में ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी स्थिति में होगा।

नॉर्थ अमेरिकन ब्लूबेरी काउंसिल ने कहा कि ताजी और फ्रोजन ब्लूबेरी पर 10 फीसदी शुल्क लगता है, जबकि प्रॉसेस्ड ब्लूबेरी पर भारत में 10 से 50 फीसदी तक शुल्क लगता है। उसने कहा कि भारत के शुल्क अनुचित हैं जो ब्लूबेरी के निर्यात को बाधित करते हैं।

First Published - June 9, 2025 | 10:48 PM IST

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