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जापान और साउथ कोरिया के साथ चर्चा में सेमीकंडक्टर पर रहेगा भारत का जोर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे चार दिवसीय यात्रा

विदेश मंत्री जयशंकर कोरिया के विदेश मंत्री के साथ 10वीं भारत-रिपब्लिक ऑफ कोरिया ज्वाइंट कमिशन बैठक में हिस्सा लेंगे।

Last Updated- March 03, 2024 | 10:54 PM IST
India's Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar

सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और विश्व में देश को चिप विनिर्माण क्षेत्र के भरोसेमंद हब के रूप में प्रस्तुत करना भारत की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के दौरान ये मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत के केंद्र में रहेंगे। इन दोनों देशों के लिए जयशंकर का दौरा मंगलवार से शुरू हो रहा है।

एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि जयशंकर आधिकारिक रूप से दो दिन कोरिया की राजधानी सोल में रुकेंगे। इस दौरान वह कोरिया के विदेश मंत्री के साथ 10वीं भारत-रिपब्लिक ऑफ कोरिया ज्वाइंट कमिशन बैठक में हिस्सा लेंगे। वह कोरिया के शीर्ष अधिकारियों, विचारक समूहों और भारतीय समुदाय से भी मिलेंगे। इनमें कुछ बैठकों में इस बात पर चर्चा होगी कि दोनों देशों के बीच किस प्रकार सेमीकंडक्टर कारोबार को बढ़ाया जाए।

सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटक है, जो संचार, गणना, स्वास्थ्य, सैन्य प्रणालियों, परिवहन और स्वच्छ ऊर्जा समेत अन्य अनगिनत ऐप्लिकेशन को आगे बढ़ाने में मदद करता है। दिसंबर 2021 में शुरू होने के बाद सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर परिदृश्य तैयार करने के लिए 10 अरब डॉलर अथवा 76,000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मंजूर की है। चूंकि भारत में ताइवानी सेमीकंडक्टर विनिर्माताओं पर फोकस रहा है, सरकार अब दक्षिण कोरिया पर नजर गड़ाए हुए है, जो विशेष श्रेणी की चिप के उत्पादन में अग्रणी है।

इन्वेस्ट कोरिया के अनुसार वैश्विक स्तर पर 2022 में 604 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर बाजार में दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी 17.7 प्रतिशत थी और यह 2013 के बाद से विश्व में लगातार दस वर्षों से दूसरे नंबर पर बना हुआ है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि वैश्विक मेमरी सेमीकंडक्टर बाजार के 60.5 प्रतिशत पर कोरिया का प्रभुत्व है। नतीजतन, डाइनेमिक रैंडम एक्सेस मेमरी (डीआरएएम) बाजार में इसकी हिस्सेदारी 75.5 प्रतिशत और एनएएनडी फ्लैश मेमरी चिप के 52.6 प्रतिशत बाजार पर इसका कब्जा है।

सूत्रों ने कहा, ‘बातचीत के दौरान भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला साझेदारी पर भी चर्चा हो सकती है। इसी तरह की साझेदारी पर बीत साल जुलाई में जापान के साथ हस्ताक्षर हुए हैं।’

सप्ताहांत में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन के प्रभुत्व को खत्म कर भारत इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में होगा। पिछले सप्ताह ही मंत्रिमंडल ने तीन सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इनमें टाटा समूह द्वारा देश का पहला मेगा चिप निर्माण संयंत्र भी शामिल है, जिस पर लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा।

भारत और अमेरिका की सेमीकंडक्टर उद्योग से जुड़ी संस्था ने पिछले महीने ही एक रिपोर्ट में बताया कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा कर भारत सेमीकंडक्टर डिजाइन में अपने दशकों के तजुर्बे का लाभ उठाएगा। इस क्षेत्र में विश्व की इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) डिजाइन श्रम बल के 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ लगभग 125,000 कर्मचारी कार्यरत हैं।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसआईए) और इंडिया इलेक्ट्रॉनिक ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में सेमीकंडक्टर एसेंबली, जांच और पैकेजिंग क्षेत्र में विस्तार की बहुत अधिक संभावनाएं हैं।

दक्षिण कोरिया के बाद जयशंकर 6-8 मार्च तक तोक्यो में रहेंगे। यहां 16वीं भारत-जापान विदेश मंत्री रणनीतिक वार्ता के दौरान भी सेमीकंडक्टर पर चर्चा होने की संभावना है।

बातचीत में रक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ ऊर्जा, हाई स्पीड रेल, औद्योगिक प्रतिस्पर्धा और संपर्क जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। जयशंकर और जापान के विदेश मंत्री समकक्ष के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्त्व के मुद्दों पर भी बात होने की उम्मीद है।

First Published - March 3, 2024 | 10:54 PM IST

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