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Israel-Hamas conflict: बढ़ सकती है निर्यातकों की परेशानी

इजरायल-हमास के बीच युद्ध के कारण माल भेजने की लागत बढ़ने के साथ ही बीमा प्रीमियम भी बढ़ सकता है

Last Updated- October 09, 2023 | 10:56 PM IST
Israel-Hamas conflict: Problems for exporters may increase

इस वक्त पश्चिम एशिया जोखिम से भरा क्षेत्र बनता जा रहा है। ऐसे में निर्यातकों के लिए भी मुश्किल वाले दिनों की शुरुआत हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष के चलते माल भेजने की लागत बढ़ने के साथ ही बीमा प्रीमियम भी बढ़ सकता है और ऐसे में भारतीय निर्यातकों को मार्जिन में कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

जर्मनी की एक एनालिटिक्स फर्म कंटेनर एक्सचेंज ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इजरायल-हमास संघर्ष के चलते भारतीय निर्यातकों को माल भेजने की बढ़ी हुई लागत और अधिक बीमा प्रीमियम जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इस बात पर जोर देना जरूरी है कि इस स्तर पर व्यापार की मात्रा पर पड़ने वाला प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित है।

हाल के वर्षों में भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में विविधता आई है जिसमें हीरे और पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा भी विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।’ फर्म ने कहा कि हालांकि इजरायल-फिलिस्तीन क्षेत्र में चल रहे संघर्ष के कारण भारतीय निर्यातकों का खर्च बढ़ सकता है लेकिन जब तक युद्ध की रफ्तार बढ़ती नहीं है तब तक ऐसी उम्मीद है कि व्यापार की मात्रा पर सीमित प्रभाव होगा।

इस वक्त प्राथमिक चिंता यह है कि निर्यातकों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है जिससे उनका लाभ मार्जिन कम हो सकता है। इस क्षेत्र पर नजर रखने वालों के मुताबिक, भारत का एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (ईसीजीसी) इजरायल को निर्यात करने वाले भारतीय फर्मों से अधिक जोखिम प्रीमियम वसूलने पर विचार कर सकता है।

यह भी पढ़ें : Israel-Palestine War: इजराइल ने हमास के हमले के बाद युद्ध की घोषणा की, गाजा पर बरसाए बम

बढ़ती अस्थिरता और जोखिम का सामना करने वाले क्षेत्रों के संदर्भ में यह एक मानक अभ्यास है। इस तरह के प्रीमियम को भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते भारतीय कारोबार को संभावित नुकसान से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि बीमा उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि प​श्चिम ए​शिया में चल रहे संघर्ष के कारण समुद्री बीमा प्रीमियम पर न्यूनतम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण युद्ध और हमले, दंगे और नागरिकों का विद्रोह (एसआरसीसी) दर अधिक हो जाएगा। इजरायल के पास से गुजरने वाले जहाजों पर हमले का अधिक खतरा है और इसी वजह से प्रीमियम में वृद्धि होनी तय है।

हालांकि, समुद्री बीमा समग्र सामान्य बीमा श्रेणी का केवल एक छोटा सा हिस्सा है, जिसमें औसत प्रीमियम लगभग 0.15 प्रतिशत है। संघर्ष के कारण, औसत में लगभग 0.25 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।’ एक विश्लेषक के अनुसार अगर पारंपरिक मार्ग प्रभावित नहीं होते तब कुल मिलाकर प्रीमियम पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, हालांकि यह प्रीमियम केवल भारत-इजरायल मार्ग पर बढ़ सकता है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फिलहाल पारंपरिक नौवहन मार्ग प्रभावित नहीं होते हैं क्योंकि संघर्ष क्षेत्र का दायरा खास जगहों तक ही सीमित है। ऐसे में शिपिंग या ट्रांजिट प्रीमियम पर अभी तक कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।

अगर युद्ध और बढ़ता है तब इस आशंका के कारण अधिक मांग के चलते माल ढुलाई दरों में वृद्धि हो सकती है। इजरायल से भारत को किया जाने वाला निर्यात या भारत से इजरायल द्वारा किए जाने वाले आयात में माल ले जाने और माल लाने वाले जहाजों के लिए प्रत्यक्ष खतरे की आशंका के कारण बीमा प्रीमियम अधिक हो सकता है।

अगर माल ढुलाई वाले पारंपरिक मार्ग युद्ध से प्रभावित होते तब अधिक प्रीमियम की स्थिति बनेगी क्योंकि युद्ध बढ़ने पर और भी देशों का हस्तक्षेप इसमें बढ़ेगा।’

इजरायल के हाइफा बंदरगाह का संचालन करने वाले भारत के अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने भी कहा कि कंपनी किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है।

कंपनी ने कहा, ‘हम दक्षिण इजरायल में हो रहे जमीनी हमले पर नजर रख रहे हैं जबकि हाइफा बंदरगाह उत्तर में मौजूद है। हमने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा करने के लिए उपाय किए हैं और वे सभी सुरक्षित हैं। हम पूरी तरह से सतर्क हैं और एक व्यापार निरंतरता योजना तैयार करेंगे जो हमें किसी भी घटना पर प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सक्षम बनाएगा।’

इस बीच, वैश्विक चुनौतियों और भू-राजनीतिक अशांति का प्रभाव कंटेनर की कीमतों पर असर पड़ सकता है, जो अक्टूबर में भारत के कई बंदरगाहों जैसे मुंद्रा, न्हावा शेवा, कोलकाता और चेन्नई के लिए मासिक तुलना के आधार पर पहले ही कम हो गई है।

First Published - October 9, 2023 | 10:04 AM IST

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