फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड की पेरेंट कंपनी Meta ने अमेरिका में अपने फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को खत्म करने की घोषणा की है। अपने इस फैसले के तहत, Meta अब अपने प्लेटफॉर्म पर किये गए पोस्ट के फैक्ट चेक के लिए किसी थर्ड पार्टी ऑर्गेनाइजेशन पर निर्भर नहीं रहेगी। इसकी जगह कंपनी यूजर द्वारा संचालित ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रणाली को अपनाएगी, जो पहले से ही X (पूर्व में ट्विटर) द्वारा लागू है।
Meta के इस फैसले से भारत सहित पूरी दुनिया के फैक्ट चेकर्स की चिताएं बढ़ गई हैं।
बता दें कि Meta ने अपना फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम साल 2016 में शुरू किया था। इसके तहत दुनिया के कई देशों में Meta फेक न्यूज की पहचान करने वाले फैक्ट चेकर्स जैसे थर्ड पार्टी पर निर्भर थी। इसके बदले में Meta उन्हें पैसे देता था।
Meta के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि थर्ड पार्टी फैक्ट चेकर्स में कई खामियां देखने को मिलीं।
उन्होंने कहा, “फैक्ट चेकर्स की भी अपनी कई खामियां हैं। वह किसी एक पक्ष के प्रति अधिक झुकाव रख सकते हैं। इसकी वजह से बहुत अधिक कॉन्टेंट फैक्ट चेकिंग के लिए सामने आ जाते हैं। अब हम फैक्ट चेकिंग को कम्युनिटी मॉडल पर केंद्रित करेंगे।”
जकरबर्ग ने अपने बयान में कहा उन्होंने फैक्ट चेकर्स को हटाने का फैसला राजनीतिक पूर्वाग्रह के चलते लिया। उन्होंने कहा, “फैक्ट चेकर्स राजनीतिक रूप से बहुत ज्यादा पक्षपाती हो रहे हैं। उन्होंने अपना जितना भरोसा बनाया है, उससे बहुत ज्यादा उन्होंने अपना भरोसा खोया है।”
इसके अलावा जुकरबर्ग ने कहा कि Meta अब अपनी जड़ों की ओर वापस जा रहा है। जुकरबर्ग ने कहा, “हम कंपनी की पुरानी गलतियों को कम करने, अपनी पॉलिसी को आसान बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।”
जकरबर्ग के इस फैसले पर इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने कड़ी आपत्ति जताई है। FCN की प्रमुख हेड एंजी ड्रोबनिक होलान ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह फैसला एक नए प्रशासन और उनके सपोटर्स के दबाव की वजह से आया है।
उन्होंने कहा, “फैक्ट चेकर्स अपने काम में पक्षपात नहीं करते हैं। यह फैसला उनके दबाव में लिया गया है जो चाहते हैं कि उन्हें बिना किसी विरोध के झूठ बोलने से रोका नहीं जाए।”
होलान ने आगे कहा, “फैक्ट चेकिंग ने कभी भी पोस्ट को सेंसर नहीं किया है और हटाया नहीं। बस यह फर्जी थ्योरी और झूठों को खारिज करता है।”
Here’s my statement on @Meta ending factchecking program. pic.twitter.com/hyAvXKCEXO
— Angie Drobnic Holan (@AngieHolan) January 7, 2025
Meta के इस निर्णय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने इस पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि Meta और अन्य प्लेटफॉर्म यूरोपीय कानूनों, विशेषकर डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA), का पालन करें। फ्रांस का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि बिना किसी फिल्टर या मॉडरेशन के कंटेंट को शेयर किया जाए।