प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के बीच पिछले सप्ताह हुई वार्ता में यूक्रेन संकट तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियां महत्वपूर्ण बिंदु रहे तथा इन दोनों मुद्दों पर दोनों पक्षों के समान विचार रहे। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय राजधानी में आगामी जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि फ्रांस और इसके पश्चिमी घटक देशों का मानना है कि जी-20 की बाली में हुई शिखर बैठक के बाद से यूक्रेन में कोई सुधार नहीं हुआ है और वे पिछले वर्ष के संयुक्त घोषणा-पत्र में यूक्रेन संकट को लेकर किये गये वायदे से कम पर कोई समझौता भी नहीं करेंगे।
जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत अपनी राष्ट्रीय राजधानी में सितम्बर में होने वाले शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा-पत्र में यूक्रेन संकट को लेकर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है। यूक्रेन संकट से संबंधित विषय-वस्तु को लेकर पश्चिमी देशों और रूस-चीन के गठजोड़ के बीच गहरे मतभेद रहे हैं। यूक्रेन संकट से संबंधित मसौदा विज्ञप्ति की विषय-वस्तु में दो पैरा जी-20 के बाली घोषणा-पत्र से लिया गया है।
रूस और चीन ने पहले यूक्रेन संकट को लेकर बाली घोषणा पत्र के दो पैरा पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गये हैं, जिससे इस जटिल मुद्दे पर आम सहमति बना पाने में भारत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उधर, सूत्रों का कहना है कि फ्रांस और इसके सहयोगी देश बाली घोषणा-पत्र में बनी सहमति से कम से समझौता नहीं करेंगे। हालांकि फ्रांस जी-20 की भारत की अध्यक्षता सफल बनाने के लिए भारत को मदद कर रहे हैं।