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लाल सागर, अदन की खाड़ी में जहाजों पर हमले का दिख रहा असर; भारत कर रहा ईरान से तेल आयात पर विचार

Oil Import: ईरान से आने वाला तेल फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के रास्ते आ सकता है, जहां हूती विद्रोहियों की उपस्थिति बहुत सीमित है।

Last Updated- January 22, 2024 | 9:48 PM IST
Earnings of oil marketing companies will increase in the fourth quarter!

भारत ईरान से कच्चे तेल का आयात बहाल करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि हूती विद्रोहियों ने लाल सागर और अदन की खाड़ी वाले इलाकों में व्यापारिक जहाजों पर हमले तेज कर दिए हैं। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने यह जानकारी दी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की पिछले हफ्ते की ईरान यात्रा के दौरान संभवतः इस मसले पर द्विपक्षीय बातचीत हुई थी। ईरान से आने वाला तेल फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के रास्ते आ सकता है, जहां हूती विद्रोहियों की उपस्थिति बहुत सीमित है।

सूत्रों ने कहा कि हूतियों के ईरानी प्रशासन के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और ईरान के लिए महत्त्वपूर्ण व्यापार के खिलाफ उनके कदम की उम्मीद नहीं की जाती। भारत ने अब तक ऐसे किसी देश से तेल नहीं खरीदा है, जिस पर वैश्विक प्रतिबंध लगा हो।

सरकार ने वेनेजुएला से तब तेल आयात शुरू किया, जब अमेरिका ने इस दक्षिण अमेरिकी देश से प्रतिबंध हटा लिया। अधिकारी ने कहा, ‘जब कच्चे तेल का मसला आता है तो हम लगातार स्थिति पर नजर रखते। लेकिन ईरान से कच्चे तेल का आयात फिर से शुरू करने के प्रस्ताव आए हैं। हम उनका अध्ययन कर रहे हैं।’

2018-19 तक ईरान भारत के लिए कच्चे तेल के बड़े स्रोतों में से एक था। जून 2019 में डॉनल्ड ट्रंप के शासन में अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा कार्यकम को देखते हुए ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए।

अमेरिका ने भारत जैसे देशों को ईरान से तेल खरीदने के लिए छूट दी है, लेकिन ईरान को डॉलर में भुगतान करने में दिक्कत हो रही है। ओपीईसी के आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी वजह से जो ईरान 2018 में भारत का नवां सबसे बड़ा निर्यातक था, 2021 में 71वां निर्यातक बन गया है।

तेल निर्यात को इच्छुक ईरान

राजनयिक सूत्र ने कहा, ‘ईरानी पक्ष भारत को तेल निर्यात बहाल करने को इच्छुक है। वह अपने तेल खरीदारों के समूह का विस्तार देने की कड़ी कवायद कर रहा है। साथ ही कोविड महामारी के असर के बाद अर्थव्यवस्था भी प्रभावित है।’

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किए व्यापार संबंधी आंकड़ों ‘एटलस ऑफ इकनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी’ के अनुसार ईरान के निर्यात में कच्चे तेल की हिस्सेदारी अहम है।

खरीदार न होने के कारण ईरान के कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा चीन भेजा जा रहा है। रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक इस समय चीन की भारी भरकम तेल की मांग का 10 प्रतिशत ईरान आपूर्ति कर रहा है। लंदन के कमोडिटी डेटा एनालिटिक्स प्रोवाइडर वोर्टेक्सा के मुताबिक 2023 के शुरुआती 10 महीनों में चीन ने रिकॉर्ड 10.5 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) खरीदारी की है।

इस महीने की शुरुआत में ईरान की मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ईरान ने अब छूट घटाकर 5 से 6 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है, जो चीन के लिए शुरुआती पेशकश 10 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में कम है। इसकी वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि भारत की रिफाइनरियां हाजिर खरीद के लिए अभी बातचीत नहीं कर रही हैं, वहीं व्यापारियों द्वारा मलेशियाई तेल की आड़ में ईरानी कच्चे तेल की पेशकश तेजी से की जा रही है।

आयात की वजह

यूक्रेन और गाजा में जंग के कारण अभी तनाव बना हुआ है। तेल का कारोबार हाल हूती हमलों के कारण और बाधित हुआ है, जो सरकार के लिए सिरदर्द है। इस समूह ने अब तक भारतीय क्रू वाले 3 जहाजों पर हमला किया है। इसकी वजह से पिछले एक महीने में कच्चे तेल की ढुलाई की लागत दोगुनी हो गई है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘अगर हमले बढ़ते हैं तो कम अवधि के हिसाब से भारत का तेल आयात प्रभावित होगा।’ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और ओमान से आयात खाड़ी से होकर अरब सागर और पश्चिमी तट के बंदरगाहों तक पहुंचता है।

अमेरिका ने अब तक इस समूह पर 6 हवाई हमले किए हैं। हाल में 19 जनवरी को हमला हुआ था। सोमवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि हूतियों के खिलाफ मिशन में 2 सैनिकों के मारे जाने की संभावना है।

एक साल से ज्यादा समय से रूस से भारत को बड़ी मात्रा में कच्चा तेल मिल रहा है। अब भारत पश्चिम एशिया के परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से फिर संबंध बढ़ाने पर विचार कर रहा है। वोर्टेक्सा के मुताबिक दिसंबर तक ईराक और सऊदी अरब भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति के दूसरे और तीसरे बड़े स्रोत थे।

दिसंबर में भारत को रूस से मिल रही छूट घटकर 2 से 4 डॉलर रह गई है, जो नवंबर में 9 से 11 डॉलर प्रति बैरल थी।

First Published - January 22, 2024 | 9:48 PM IST

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